यूक्रेन की डीजल आपूर्ति में भारत की भूमिका पर नई चिंताएँ
यूक्रेन की ऊर्जा जरूरतों पर युद्ध का प्रभाव
रूस-यूक्रेन संघर्ष ने ऊर्जा बाजार को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। पहले बेलारूस और रूस से डीजल आयात करने वाला यूक्रेन अब यूरोपीय देशों और भारत जैसे विकल्पों की तलाश कर रहा है। हालाँकि, अब यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसियों ने भारतीय डीजल पर संदेह जताया है, जिसके कारण आयातित डीजल पर कड़ी निगरानी शुरू की जाएगी।
सुरक्षा एजेंसियों की नई जांच प्रक्रिया
यूक्रेनी ऊर्जा कंसल्टेंसी एनकोर के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों ने निर्देश दिए हैं कि भारत से आने वाले सभी डीजल टैंकरों की लैब में जांच की जाएगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इनमें रूस से संबंधित कोई सामग्री न हो। भारत बड़े पैमाने पर रूसी कच्चे तेल का आयात करता है और उसे रिफाइन करके अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचता है, जिससे यूक्रेन को चिंता है कि उसके आयातित डीजल में रूस की अप्रत्यक्ष भागीदारी हो सकती है।
भारत से डीजल की बढ़ती मांग
एनकोर के अनुसार, अगस्त में यूक्रेन ने भारत से 1.19 लाख टन डीजल खरीदा, जो उसकी कुल डीजल आपूर्ति का लगभग 18% है। युद्ध से पहले, यूक्रेन की आवश्यकताएँ मुख्य रूप से बेलारूस और रूस से पूरी होती थीं, लेकिन 2022 में युद्ध के बाद, उसने यूरोपीय देशों की ओर रुख किया और अब भारतीय डीजल उसकी ऊर्जा जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
रूस के हमलों का असर
यूक्रेनी ऊर्जा बाजार की समस्याएँ रूस के हमलों से और बढ़ गई हैं। इस वर्ष गर्मियों में, रूस ने यूक्रेन की एक प्रमुख रिफाइनरी और कई ईंधन भंडारण स्थलों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिससे घरेलू उत्पादन प्रभावित हुआ और आयात पर निर्भरता बढ़ गई। एनर्जी कंसल्टेंसी A-95 के अनुसार, व्यापारियों ने इस कमी को पूरा करने के लिए भारत से डीजल खरीदना शुरू किया। यहां तक कि यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने भी भारतीय डीजल खरीदा क्योंकि यह पोस्ट-सोवियत मानकों पर खरा उतरता था।
आयात में गिरावट और चुनौतियाँ
A-95 के आंकड़ों के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में डीजल आयात पिछले वर्ष की तुलना में 13% घटकर 2.74 मिलियन मीट्रिक टन रह गया। अब जबकि भारतीय डीजल पर अतिरिक्त जांच की शर्त लागू हो रही है, आयातकों के लिए चुनौतियाँ और बढ़ सकती हैं। यूक्रेन के लिए यह एक चुनौती है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करे, जबकि रूस लगातार उसकी ऊर्जा संरचनाओं को निशाना बना रहा है। भविष्य में, यूक्रेन को अपने ऊर्जा स्रोतों में और विविधता लाने की आवश्यकता होगी।