राजस्थान में अरावली पर्वत के संरक्षण के लिए प्रदर्शन, जोधपुर में लाठीचार्ज
प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव
राजस्थान के विभिन्न शहरों में अरावली पर्वत श्रृंखला में खनन की अनुमति मिलने के खिलाफ लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। कांग्रेस और सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं। उदयपुर में कलेक्ट्रेट के पास पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई, जिसमें कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया गया। सीकर में, 945 मीटर ऊँचाई पर स्थित हर्ष पर्वत पर भी प्रदर्शन हुआ।
राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रिया
अलवर में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि अरावली राजस्थान के लिए फेफड़ों के समान है और इस निर्णय को वापस लेना आवश्यक है। जोधपुर में एनएसयूआई कार्यकर्ता प्रदर्शन के दौरान बेरिकेड्स पर चढ़ गए, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया। पर्यावरण प्रेमी पवन ढाका ने कहा कि इंसान को उसके घर से निकालना ठीक नहीं है, क्योंकि जीव-जंतु क्या करेंगे?
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमीन से 100 मीटर या उससे अधिक ऊँचाई वाली भू-आकृति को ही अरावली पहाड़ी माना जाएगा। इस मानक के अनुसार, अरावली की 90% से अधिक पहाड़ियां संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी। इस फैसले के बाद अरावली के संरक्षण की मांग तेज हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को वापस लेने की मांग
उदयपुर में कई संगठनों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को वापस लेने की मांग की। कांग्रेस कार्यकर्ता, करणी सेना और अन्य समाजों के लोग एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान कलेक्ट्रेट पर पुलिस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की भी हुई।
भूपेंद्र यादव का बयान
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि अरावली के क्षेत्र में केवल 0.19% हिस्से में ही खनन की अनुमति है, जबकि बाकी क्षेत्र संरक्षित है। उन्होंने लोगों से भ्रम फैलाना बंद करने की अपील की।
मुख्यमंत्री का आश्वासन
मुख्यमंत्री भजनलाल ने कहा कि लोग अरावली के संरक्षण के लिए जागरूक हो रहे हैं। उन्होंने विश्वास दिलाया कि सरकार किसी भी स्थिति में अरावली के साथ छेड़छाड़ नहीं होने देगी।