राजस्थान में सड़क हादसों से परिवारों में मातम, कई की गई जान
बूंदी में सड़क दुर्घटनाओं का सिलसिला
बूंदी: राजस्थान में हाल ही में हुए कई भयानक सड़क हादसों ने कई परिवारों को बिखेर दिया है और पूरे गांव में शोक का माहौल है। राज्य राजमार्ग 34, कोटा-लालसोट मेगा हाईवे और राष्ट्रीय राजमार्ग 27 पर हुई तीन अलग-अलग घटनाओं में कई बच्चों की जान चली गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। पहली घटना राज्य राजमार्ग 34 पर नैनवा के निकट हुई।
शांतिलाल रेगर और उनके 15 वर्षीय बेटे रोहित, अपनी बेटी की शादी के निमंत्रण पत्र बांटने जा रहे थे, जो 30 नवंबर को होने वाली थी। नैनवा में रिश्तेदारों को कार्ड बांटने के बाद, वे देई की ओर बढ़ रहे थे, तभी उनकी बाइक एक अन्य बाइक से टकरा गई। यह टक्कर इतनी भयंकर थी कि रोहित की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जिससे शादी का माहौल मातम में बदल गया।
शांतिलाल को गंभीर चोटें आईं और उन्हें इलाज के लिए कोटा भेजा गया। दूसरी बाइक पर सवार अंकित (18) और अजय (15) भी गंभीर रूप से घायल हुए और उन्हें बूंदी अस्पताल में भर्ती कराया गया। राहगीरों ने एम्बुलेंस को सूचित किया और चारों को नैनवा अस्पताल पहुंचाया गया। रोहित का शव शवगृह में रखा गया है और उसका पोस्टमार्टम मंगलवार को होगा।
एक और दुखद घटना में, 24 वर्षीय दीपक मीणा, जो अपने बुजुर्ग माता-पिता का इकलौता बेटा था, की रविवार रात कोटा-लालसोट मेगा हाईवे पर मृत्यु हो गई। दीपक और उसका दोस्त शुभम अपने गांव से लाखेरी जा रहे थे, तभी उनकी बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गई। स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचित किया और उन्हें लाखेरी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने दीपक को मृत घोषित कर दिया।
दीपक की मौत से उसके माता-पिता गहरे सदमे में हैं और ग्रामीणों ने सड़क सुरक्षा उपायों की कमी पर नाराजगी जताई है। तीसरी घटना राष्ट्रीय राजमार्ग 27 पर धनेश्वर के पास हुई, जहां कोटा जिले के सत्य नारायण शर्मा (54) अपनी बेटी के साथ मोटरसाइकिल पर डाबी में एक समारोह में शामिल होने जा रहे थे। अचानक एक तेज रफ्तार बाइक ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी।
इस टक्कर में पिता और बेटी दोनों सड़क पर गिर गए। सत्य नारायण को सिर में गंभीर चोटें आईं और उन्हें कोटा अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ये लगातार हो रही दुर्घटनाएं राजमार्गों पर बढ़ते खतरों और कड़े सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को उजागर करती हैं। जो परिवार जश्न की तैयारी कर रहे थे, वे अब अंतिम संस्कार कर रहे हैं, जिससे खुशियां अविस्मरणीय दुख में बदल गई हैं।
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