राहुल गांधी का हरियाणा दौरा: कांग्रेस संगठन को नई दिशा देने की कोशिश
राहुल गांधी का हरियाणा दौरा
राहुल गांधी हरियाणा यात्रा: 11 वर्षों बाद कांग्रेस संगठन को मिली नई ताकत, गुटबाजी खत्म करने का अभियान शुरू: कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आज, 4 जून 2025 को हरियाणा का दौरा कर रहे हैं। यह यात्रा केवल एक राजनीतिक यात्रा नहीं है, बल्कि पिछले 11 वर्षों में कमजोर पड़े कांग्रेस संगठन को पुनर्जीवित करने की एक महत्वपूर्ण पहल है।
इस यात्रा के दौरान, राहुल गांधी चंडीगढ़ में वरिष्ठ नेताओं और पर्यवेक्षकों के साथ बैठक करेंगे, ताकि हरियाणा कांग्रेस में फैली गुटबाजी को समाप्त कर संगठन को एकजुट और मजबूत किया जा सके।
इस दौरे के बाद नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जो पार्टी के भविष्य को नई दिशा प्रदान करेगी। आइए, इस यात्रा के उद्देश्य और महत्व को विस्तार से समझते हैं।
राहुल गांधी सुबह 11:30 बजे चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे, जहां उनका स्वागत करने के लिए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी बीके हरि सिंह, प्रदेशाध्यक्ष उदयभान, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला मौजूद रहेंगे।
इसके बाद, राहुल गांधी चंडीगढ़ के कांग्रेस कार्यालय में 17 वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करेंगे, जिसमें गुटबाजी समाप्त करने और संगठन को मजबूत करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा।
इस दौरान, राहुल गांधी नेताओं को एकजुट होकर कार्य करने का स्पष्ट संदेश देंगे। साथ ही, वे हरियाणा के 22 जिलों में तैनात पर्यवेक्षकों से भी मुलाकात करेंगे और उनके फीडबैक के आधार पर संगठन की रणनीति को और मजबूत करेंगे।
कांग्रेस ने नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए स्पष्ट मापदंड निर्धारित किए हैं। जिलाध्यक्ष की उम्र 35 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए, और उनके पास कम से कम पांच साल का संगठनात्मक अनुभव होना आवश्यक है।
साफ छवि और गुटबाजी से दूर रहने वाले कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी। जहां कई उम्मीदवार होंगे, वहां आपसी सहमति या वोटिंग के जरिए पैनल तैयार किया जाएगा।
यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि संगठन में युवा और समर्पित नेतृत्व उभरे, जो पार्टी को नई ऊर्जा प्रदान कर सके। राहुल गांधी का मुख्य ध्यान उन कार्यकर्ताओं को वापस लाना भी है, जो गुटबाजी के कारण पार्टी छोड़ चुके हैं।
हरियाणा में 2024 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार ने गुटबाजी के दुष्परिणामों को उजागर किया था। राहुल गांधी ने दिल्ली में हुई समीक्षा बैठक में स्पष्ट कहा था कि नेताओं के निजी हितों ने पार्टी के हितों को नुकसान पहुंचाया।
चुनाव में कांग्रेस को 39.09% वोट मिले, जो भाजपा के 39.94% से केवल 0.85% कम थे, लेकिन सीटों में कांग्रेस 37 पर सिमट गई, जबकि भाजपा ने 48 सीटें जीतीं। इस हार का कारण नेताओं के बीच आपसी खींचतान को माना गया।
राहुल गांधी ने अंबाला की एक रैली में सैलजा और हुड्डा को एक मंच पर एकजुट करने की कोशिश की थी, लेकिन गुटबाजी कम नहीं हुई। इस दौरे के जरिए राहुल गांधी हरियाणा कांग्रेस को एक नई शुरुआत देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।