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राहुल गांधी की टीम ने उठाया वोट चोरी का मामला, क्या चुनाव आयोग करेगा कार्रवाई?

राहुल गांधी की 40 सदस्यीय सोशल मीडिया टीम ने देशभर में मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप लगाते हुए 'वोट चोरी' का गंभीर दावा किया है। बेंगलुरु में हुई जांच के बाद टीम ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी ने चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का संदेह जताया है। महादेवपुरा विधानसभा में वोट चोरी के आरोपों के साथ, विपक्ष अब इस मामले को सड़क से संसद तक ले जाने की योजना बना रहा है। क्या चुनाव आयोग इस पर कार्रवाई करेगा? जानें पूरी कहानी।
 

राहुल गांधी का बड़ा आरोप

राहुल गांधी: लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी की 40 सदस्यीय सोशल मीडिया टीम ने देशभर में मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप लगाते हुए 'वोट चोरी' का गंभीर दावा किया है। बेंगलुरु स्थित कार्यालय में चार महीने तक चली गहन जांच के बाद टीम ने चौंकाने वाले आंकड़े और सबूत पेश किए हैं। राहुल गांधी का कहना है कि चुनाव आयोग को अब इस तरह की गड़बड़ियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।


कांग्रेस का चुनावी प्रदर्शन और संदेह

हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अपेक्षा से कम रहा। मध्य प्रदेश में हार, तेलंगाना, कर्नाटक और बिहार में कम सीटें और हरियाणा में करारी हार के बाद पार्टी को चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का संदेह हुआ। हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी के बीच केवल 22,779 वोटों का अंतर, विशेषकर 8 सीटों पर, ने शक को और बढ़ा दिया। ईवीएम पर सबूत न होने के कारण चुनाव आयोग ने पहले इन आरोपों को खारिज कर दिया था।


जांच की शुरुआत कैसे हुई?

‘कुछ तो गड़बड़ है’: शिकायत से शुरू हुई जांच

बेंगलुरु सेंट्रल से कांग्रेस के उम्मीदवार और अभिनेता-राजनीतिज्ञ मंसूर अली खान ने पार्टी के उच्च नेतृत्व को बताया कि उनकी हार संदिग्ध लगती है। उन्होंने सात विधानसभा क्षेत्रों में 82,000 वोटों की बढ़त बनाई थी, लेकिन महादेवपुरा में बीजेपी के उम्मीदवार पी सी मोहन को 1.15 लाख वोटों की अप्रत्याशित बढ़त मिली, जिससे उनकी हार हुई।


राहुल गांधी का चुनौतीपूर्ण कार्य

राहुल गांधी का ‘हर्क्यूलियन टास्क’

मंसूर अली खान की शिकायत के बाद, राहुल गांधी ने अपनी 40 सदस्यीय मीडिया टीम को बेंगलुरु में जांच का कार्य सौंपा। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से बेंगलुरु सेंट्रल की वोटर लिस्ट की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी मांगी, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद राहुल ने संसद में मामला उठाया, लेख लिखे और जनसभाओं में आवाज उठाई। अंततः आयोग ने हार्ड कॉपी दी, जो 20 फीट ऊंचे कागजों का ढेर था। दो महीने बाद ये लिस्ट टीम को मिली और स्कैन करने पर पता चला कि ये ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (OCR) के अनुकूल नहीं है। मजबूरन टीम ने हर पेज की फोटो खींचकर मैन्युअली डेटा तैयार किया, जो चार महीने में पूरा हुआ।


महादेवपुरा में वोट चोरी के आरोप

महादेवपुरा में वोट चोरी के आरोप

टीम के अनुसार, महादेवपुरा विधानसभा में कुल 1,00,250 वोट चोरी किए गए, जिनमें शामिल हैं:

  • 11,965 डुप्लीकेट वोट

  • 40,009 फर्जी पते वाले वोट

  • 10,452 वोट एक ही पते पर दर्ज

  • 4,132 वोट बिना फोटो के

  • 33,692 वोट फर्जी तरीके से फॉर्म-6 के जरिए जोड़े गए

इनमें से कई 'नए वोटरों' की उम्र 70, 85 और यहां तक कि 95 साल तक पाई गई।


विपक्ष का आंदोलन

‘इंडिया’ गठबंधन अब इस मामले को सड़क से संसद तक ले जाने की योजना बना रहा है। शुक्रवार को कर्नाटक चुनाव आयोग कार्यालय तक मार्च होगा। सोमवार को दिल्ली में चुनाव आयोग कार्यालय तक पैदल मार्च होगा। 10 सितंबर से पटना में आरजेडी की पदयात्रा शुरू होगी, जिसका समापन 24 सितंबर को रैली के साथ होगा। वहां विपक्ष संयुक्त रूप से कथित वोट चोरी के खिलाफ ऐलान करेगा।