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रेलवे दुर्घटना से बची पूर्वांचल एक्सप्रेस, चमत्कारिक संयोग से टला बड़ा हादसा

बीती रात सिमुलतला और लहाबन के बीच एक गंभीर रेलवे दुर्घटना टल गई, जब पूर्वांचल एक्सप्रेस कुछ ही मिनटों में वहां से गुजरी। यदि समय में कोई फेरबदल होता, तो हजारों यात्रियों की जान जा सकती थी। इस घटना ने एक बार फिर रेलवे सुरक्षा की चुनौतियों को उजागर किया है। जानें इस चमत्कारिक संयोग के बारे में और कैसे यह हादसा टला।
 

चमत्कारिक संयोग से टला बड़ा हादसा

सिमुलतला और लहाबन के बीच बीती रात हुई घटना किसी चमत्कार से कम नहीं है। यदि घड़ियों की सुई में थोड़ी भी देरी होती, तो भारतीय रेलवे के इतिहास में एक और दुखद अध्याय जुड़ जाता। 15050 गोरखपुर-कोलकाता पूर्वांचल एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे हजारों लोग मौत के मुंह से लौट आए हैं।

भयावह दृश्य का सामना

घटनास्थल का दृश्य देखकर हर किसी की रूह कांप उठेगी। सीतामढ़ी की ओर जा रही सीमेंट से भरी मालगाड़ी (अप लाइन) जिस भयानक तरीके से पटरी से उतरी, उसने तबाही की नई परिभाषा पेश की। मालगाड़ी के बेकाबू डिब्बे अपनी पटरी तोड़कर डाउन लाइन पर गिर गए—वहीं डाउन लाइन, जिस पर से कुछ ही पल पहले यात्रियों से भरी पूर्वांचल एक्सप्रेस गुजरी थी।

दृश्य इतना भयानक था कि सीमेंट से लदी बोगियां लोहे की पटरियों को चीरते हुए दूसरी ओर जा गिरीं। यदि उस समय पूर्वांचल एक्सप्रेस वहां होती, तो टक्कर इतनी भीषण होती कि लोहे के पुर्जे और इंसानी शरीर का फर्क मिट जाता। मौत और जिंदगी के बीच केवल कुछ मिनटों का फासला था। रेलवे के आंकड़ों ने इस घटना की गंभीरता को और बढ़ा दिया है। रात 11:01 बजे 15050 गोरखपुर-कोलकाता पूर्वांचल एक्सप्रेस सिमुलतला स्टेशन से डाउन लाइन पर गुजरती है। रात 11:02 बजे, सीमेंट लदी मालगाड़ी लहाबन स्टेशन से अप लाइन पर गुजरती है।

कुछ ही मिनटों बाद, सिमुलतला से साढ़े तीन किलोमीटर और लहाबन से करीब साढ़े पांच किलोमीटर की दूरी पर मालगाड़ी बेपटरी हो गई। उसके डिब्बे डाउन लाइन को पूरी तरह बाधित कर चुके थे। सोचिए, यदि पूर्वांचल एक्सप्रेस थोड़ी भी लेट होती या मालगाड़ी थोड़ी पहले वहां पहुंचती, तो हजारों यात्रियों की जिंदगी समाप्त हो जाती।

बड़ी त्रासदी का संकेत

जिस तरह से मालगाड़ी के भारी-भरकम डिब्बे डाउन ट्रैक पर बिखरे पड़े हैं, उससे स्पष्ट है कि यह दुर्घटना एक बड़ी त्रासदी को निमंत्रण दे रही थी। सिमुलतला और लहाबन के बीच की 9 किलोमीटर की दूरी बीती रात 'मौत के गलियारे' में बदल गई थी। इसे ईश्वर की असीम कृपा ही कहा जाएगा कि जब पटरियों पर हादसा हुआ, तब तक पूर्वांचल एक्सप्रेस सुरक्षित निकल चुकी थी। वरना आज सुबह का सूरज हजारों परिवारों के लिए कभी न मिटने वाला अंधेरा लेकर आता।