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लखनऊ में बिजली विभाग की प्रताड़ना से युवक ने की आत्महत्या की कोशिश

लखनऊ में एक युवक ने बिजली विभाग की समस्याओं से परेशान होकर आत्महत्या की कोशिश की। यह घटना मुख्यमंत्री आवास के निकट हुई, जहां युवक ने जहरीला पदार्थ निगल लिया। उसकी शिकायत थी कि 2014 में लगाई गई आटा चक्की का काम बार-बार ट्रांसफार्मर फुंकने के कारण ठप है। कई बार शिकायत करने के बावजूद बिजली विभाग ने समस्या का समाधान नहीं किया। इस घटना ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
 

बिजली विभाग की समस्या से परेशान युवक ने उठाया गंभीर कदम


लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भले ही लोगों को राहत देने के लिए कई दावे करती हो, लेकिन बिजली विभाग की प्रताड़ना के चलते एक युवक ने आत्महत्या का प्रयास किया। यह घटना मुख्यमंत्री आवास के निकट हुई, जहां युवक ने जहरीला पदार्थ निगल लिया। उसे तुरंत सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। युवक ने बताया कि वह बिजली विभाग की समस्याओं से अत्यंत परेशान था, जिसके कारण उसने यह कदम उठाया।


जानकारी के अनुसार, बुलंदशहर के निवासी अजय कुमार उर्फ धर्मेश कुमार (45) अपनी शिकायत लेकर लखनऊ आए थे। उन्होंने लामार्ट चौराहे के पास जहरीला पदार्थ खा लिया। पुलिस को सूचना मिली कि एक व्यक्ति ने जहर खा लिया है, जिसके बाद वह मौके पर पहुंची और युवक को अस्पताल में भर्ती कराया।


पूछताछ में अजय ने बताया कि उसने 2014 में एक आटा चक्की लगाई थी। 7 मई 2014 को अधिक लोड के कारण उसका ट्रांसफार्मर जल गया। इसके बाद दूसरा ट्रांसफार्मर भी एक घंटे में जल गया। तब से बिजली विभाग ने उस पर 70 प्रतिशत राशि जमा करने का दबाव डाला। इस कारण उसकी आटा चक्की बंद हो गई और वह मानसिक तनाव में रहने लगा। वह लगातार बिजली विभाग के चक्कर लगाता रहा, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। अंततः उसने जहर खा लिया। उपचार के कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई।




इस घटना पर यूपी कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला किया है। उनके आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा गया कि लखनऊ में सीएम आवास के निकट अजय ने ज़हर खाकर जान देने की कोशिश की। उसकी शिकायत थी कि 2014 में लगाई गई आटा चक्की का काम बार-बार ट्रांसफार्मर फुंकने के कारण ठप है। कई बार शिकायत करने के बावजूद बिजली विभाग ने समस्या का समाधान नहीं किया। अजय का आरोप है कि विभाग के अधिकारियों ने नया ट्रांसफार्मर लगाने के लिए उससे 70% खर्च की मांग की। महीनों तक पावर हाउस के चक्कर लगाने के बाद भी उसे राहत नहीं मिली। अंततः वह मुख्यमंत्री के जनता दरबार में अपनी शिकायत लेकर पहुंचा और वहीं उसने ज़हर खा लिया।


कांग्रेस ने कहा कि यह घटना भाजपा के तंत्र की भ्रष्ट कार्यप्रणाली का उदाहरण है। सोचिए, जब एक आम नागरिक को अपनी मेहनत से लगाए धंधे को बचाने के लिए ऐसा कदम उठाना पड़े, तो यह व्यवस्था के लिए कितनी बड़ी चेतावनी है। हक और न्याय पाने के लिए किसी को अपनी जान दांव पर लगानी पड़े, योगी सरकार के लिए इससे शर्मनाक और क्या हो सकता है?