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लद्दाख में स्थिति तनावपूर्ण, केंद्र सरकार ने भेजा विशेष दूत

लद्दाख में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, जहां हाल ही में हुई हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष दूत भेजा है। उपराज्यपाल की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई है, जिसमें सुरक्षा एजेंसियों की चूक पर चर्चा की जाएगी। कर्फ्यू के कारण स्थानीय लोगों को आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है।
 

लद्दाख में शांति की कोशिशें

नई दिल्ली: लद्दाख में हाल ही में हुई हिंसा के बाद स्थिति अब शांत है, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है। पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत स्वायत्तता की मांग को लेकर हाल में काफी हंगामा हुआ था।


केंद्र सरकार की पहल

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, केंद्र सरकार ने दिल्ली से एक विशेष दूत को भेजा है, जो स्थानीय प्रतिनिधियों और संगठनों के साथ बातचीत कर समाधान खोजने का प्रयास करेगा। इस बीच, उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई है, जिसमें चीफ सेक्रेटरी पवन कोतवाल, डीजीपी एसडी सिंह जम्वाल, सेना और आईटीबीपी के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। बैठक में हिंसा के कारणों और सुरक्षा एजेंसियों की चूक पर चर्चा की जाएगी।


सुरक्षा व्यवस्था और कर्फ्यू

लेह में कर्फ्यू लागू है, और यदि स्थिति सामान्य रहती है, तो आज शाम को कुछ ढील दी जा सकती है। पुलिस ने अब तक लगभग 50 लोगों को हिरासत में लिया है। संवेदनशील क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों और पुलिस का लगातार गश्त जारी है।


लोगों की समस्याएं

कर्फ्यू के कारण लोगों को राशन, दूध और सब्जियों जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसी वजह से सरकार ने बुनियादी सामान खरीदने के लिए सीमित समय पर छूट देने का निर्णय लिया है। शुक्रवार और शनिवार को लेह के सभी स्कूल और कॉलेज बंद रखने के आदेश दिए गए हैं।


भूख हड़ताल और जांच की मांग

उपद्रव के बाद, ऐक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने अपनी 15 दिन की भूख हड़ताल समाप्त कर दी। उनका कहना है कि हिंसा ने आंदोलन की भावना को प्रभावित किया है। वहीं, लद्दाख के निर्दलीय सांसद मोहम्मद हनीफा ने पुलिस फायरिंग पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि जनता की मांगें उचित हैं और सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।