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वियतनाम में भूस्खलन से बस दुर्घटना, छह की मौत और 19 घायल

वियतनाम के एक पर्वतीय दर्रे में भूस्खलन के कारण एक बस मलबे में दब गई, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और 19 अन्य घायल हुए। मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी दी है। इस घटना के बाद बचाव कार्य में देरी हुई, जिससे कई यात्री फंसे रहे। वियतनाम में जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। जानें इस घटना के सभी पहलुओं के बारे में।
 

वियतनाम में भूस्खलन की घटना

वियतनाम के एक पर्वतीय दर्रे में भूस्खलन के कारण एक बस मलबे में दब गई, जिससे छह लोगों की जान चली गई और 19 अन्य घायल हुए। मौसम विभाग ने अगले सप्ताह भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।


दुर्घटना का विवरण

सरकारी मीडिया के अनुसार, रविवार रात को मध्य पर्वतीय क्षेत्र में खांह ले दर्रे पर एक बस पर अचानक मलबा और पत्थर गिरने लगे। यह 33 किलोमीटर लंबा घुमावदार मार्ग खड़ी पहाड़ियों के बीच से गुजरता है और पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है, लेकिन बरसात के मौसम में भूस्खलन की घटनाएं आम हैं।


बचाव कार्य

भूस्खलन के कारण बस का अगला हिस्सा गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया और कई यात्री अंदर फंस गए। भारी बारिश के चलते दर्रे के दोनों ओर भूस्खलन होने से रास्ता बंद हो गया, जिससे बचावकर्मियों को घटनास्थल तक पहुंचने में काफी समय लगा।


घायलों का इलाज

बचाव दल आधी रात के बाद बस तक पहुंच सके। बस में 32 यात्री सवार थे, जो हो ची मिन्ह सिटी से दा लात होते हुए न्हा त्रांग जा रहे थे। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया।


भूस्खलन के कारण

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कठिन भूभाग के कारण दो शव मलबे में ही फंसे हुए थे। वियतनाम का मध्य क्षेत्र भारी बारिश से प्रभावित है, जिसे पहले तूफान कलमाएगी ने भी नुकसान पहुंचाया था।


भविष्यवाणी

बुधवार तक कुछ क्षेत्रों में 30 से 60 सेंटीमीटर, जबकि कुछ स्थानों पर 85 सेंटीमीटर से अधिक बारिश होने की संभावना है। रविवार को ह्यू शहर के पहाड़ी इलाकों में भीषण बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन हुआ, जिससे एक प्रमुख राजमार्ग पर यातायात बाधित हो गया और कई गांवों का संपर्क टूट गया।


जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

वियतनाम दुनिया के सबसे अधिक बाढ़-प्रवण देशों में से एक है, जहां लगभग आधी आबादी उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में निवास करती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण दक्षिण-पूर्व एशिया में तूफान और बारिश की तीव्रता बढ़ रही है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन अधिक विनाशकारी और बार-बार होने लगे हैं।