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शशि थरूर ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की सराहना की

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित साहित्य महोत्सव में भाग लिया। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की सराहना की और कहा कि उनका उद्देश्य बिहार की संस्कृति का अनुभव करना है। थरूर ने नालंदा महाविहार के ऐतिहासिक महत्व को भी उजागर किया, जो शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था। उनका मानना है कि यह पुनर्निर्माण भारत की शिक्षा और सभ्यता की महानता को पुनर्स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
 

नालंदा विश्वविद्यालय में साहित्य महोत्सव में शिरकत


कांग्रेस नेता शशि थरूर हाल ही में बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित साहित्य महोत्सव में शामिल होने पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य बिहार की समृद्ध संस्कृति का अनुभव करना है, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे को पूरा करना। उन्होंने बिहार म्यूजियम और बापू टावर की भी सिफारिश की। थरूर ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर और विदेश मंत्रालय के योगदान की प्रशंसा की।


नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार की सराहना

थरूर ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि भारत के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि कोई भी विश्वविद्यालय शीर्ष 10 या 50 में नहीं है। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण को भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक मानते हुए इसकी सराहना की।


प्राचीन नालंदा महाविहार का महत्व

थरूर ने नालंदा महाविहार के ऐतिहासिक महत्व को याद करते हुए बताया कि यह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 13वीं शताब्दी तक शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। इसकी खुदाई स्थल को 2016 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा मिला।


भारत की शिक्षा और सभ्यता का पुनर्निर्माण

थरूर ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण केवल एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में नहीं, बल्कि भारत की शिक्षा और सभ्यता की महानता को पुनर्स्थापित करने का एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने इसे 1200 ईस्वी में बख्तियार खिलजी द्वारा नष्ट किए जाने के बाद पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया को अत्यंत संतोषजनक बताया।