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शशि थरूर ने बांग्लादेश में राजनीतिक संकट पर चिंता व्यक्त की

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बांग्लादेश में बढ़ते राजनीतिक संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने वहां के लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर खतरे और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमलों को लेकर चेतावनी दी। थरूर ने अंतरिम सरकार से अपील की है कि वे पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और शांति बहाली के लिए ठोस कदम उठाएं। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल चरम पर है।
 

बांग्लादेश में बढ़ते संकट पर थरूर की चेतावनी

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने बांग्लादेश में बढ़ते राजनीतिक संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि वहां भीड़तंत्र का बढ़ता प्रभाव न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए खतरा है, बल्कि यह भारत के लिए भी एक गंभीर क्षेत्रीय चुनौती बन रहा है।


थरूर ने बांग्लादेश से आ रही हालिया रिपोर्टों पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों को गंभीर खतरा बताया। प्रमुख मीडिया संस्थानों जैसे प्रोथोम आलो और डेली स्टार के कार्यालयों पर हमलों का उल्लेख करते हुए थरूर ने कहा कि पत्रकारों को अपने कार्यालयों में आग लगते देखना और जान बचाने के लिए भागते हुए संदेश भेजने की स्थिति में नहीं होना चाहिए। भीड़तंत्र को किसी भी स्थिति में बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।


एक अन्य गंभीर मुद्दे के रूप में, थरूर ने खुलना और राजशाही में भारतीय सहायक उच्चायोगों में वीजा सेवाओं के निलंबन को एक बड़ा झटका बताया। सुरक्षा कारणों से इन केंद्रों को बंद करना पड़ा, जिससे हजारों छात्र, मरीज और परिवार प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने अंतरिम सरकार से अपील की कि राजनयिक मिशनों को सुरक्षित रखा जाए और दूतावासों को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जाए।


लोकतंत्र के लिए खतरा


अगले साल 12 फरवरी को प्रस्तावित राष्ट्रीय चुनावों के संदर्भ में, थरूर ने मौजूदा हिंसा और असहिष्णुता के माहौल को लोकतंत्र के लिए खतरे का संकेत बताया। उन्होंने कहा कि यदि बांग्लादेश इस संक्रमण काल से लोकतांत्रिक तरीके से बाहर निकलना चाहता है, तो उसे भीड़तंत्र के बजाय रचनात्मक संवाद को प्राथमिकता देनी होगी। इसके लिए अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस को नेतृत्व करना चाहिए।


थरूर ने कहा कि बांग्लादेश में अस्थिरता का सीधा असर भारत की सुरक्षा, सीमा प्रबंधन और आर्थिक हितों पर पड़ता है। उन्होंने अंतरिम सरकार से तीन प्रमुख कदम उठाने की अपील की: पत्रकारों और मीडिया की सुरक्षा सुनिश्चित करना, भारतीय राजनयिक प्रतिष्ठानों की रक्षा करना, और शांति बहाली के लिए ठोस प्रयास करना।


थरूर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल चरम पर है। मीडिया पर हमले, विरोध प्रदर्शन और अल्पसंख्यकों पर खतरे की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। संसदीय समिति की हालिया रिपोर्ट में बांग्लादेश को 1971 के बाद भारत के लिए सबसे बड़ी रणनीतिक चुनौती बताया गया है। अंत में, थरूर ने आशा व्यक्त की कि बांग्लादेश में जल्द शांति स्थापित होगी और लोगों की आवाज चुनावों के माध्यम से सुनी जाएगी, न कि हिंसा और धमकियों से। उन्होंने कहा कि हम एक सुरक्षित वातावरण की कामना करते हैं जहां लोकतंत्र सही मायनों में विकसित हो सके।