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सरकारी अस्पतालों में रेफर प्रक्रिया में बदलाव, मरीजों को मिलेगी राहत

सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बिना ठोस कारण रेफर करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाएगी, जिससे उन्हें छोटी समस्याओं के लिए बड़े अस्पतालों में भेजे जाने से राहत मिलेगी। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने इस नई कार्यप्रणाली की जानकारी दी है, जिसमें हर रेफर केस के लिए संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। इसके अलावा, पीजी डॉक्टरों की अनुपस्थिति पर भी कार्रवाई की जाएगी। जानें इस नई व्यवस्था के बारे में और कैसे यह मरीजों के हितों की रक्षा करेगी।
 

नई रेफर प्रक्रिया का कार्यान्वयन

अब सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों को बिना उचित कारण के रेफर करने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाएगी। यह निर्णय उन मरीजों के लिए राहत का कारण बनेगा, जिन्हें छोटी समस्याओं के लिए बड़े अस्पतालों में भेजा जाता था। प्रदेश सरकार इस प्रक्रिया को अधिक जवाबदेह बनाने के लिए एक नई कार्यप्रणाली लागू करने जा रही है।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने सोमवार को सचिवालय में सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों (सीएमओ) और प्रमुख चिकित्सा अधीक्षकों (सीएमएस) के साथ इस विषय पर चर्चा की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर यह कदम उठाया गया है ताकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों के हितों की रक्षा की जा सके।

स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि अब हर रेफर केस के लिए संबंधित अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। सीएमएस को रेफर करने से पहले ठोस कारण के साथ हस्ताक्षर करना होगा। अस्पष्ट कारणों या सुविधाओं की कमी के आधार पर मरीजों को दूसरे अस्पताल भेजने की अनुमति नहीं होगी। यदि ऐसा हुआ, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग जल्द ही एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करेगा, जिसमें रेफर की प्रक्रिया के सभी नियम स्पष्ट होंगे। इस नई व्यवस्था से मरीजों की जान को खतरे में डालने से रोका जाएगा और सरकारी अस्पतालों में संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा।

बैठक में उपस्थित वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने की बात कही।

पीजी डॉक्टरों की अनुपस्थिति पर कार्रवाई की तैयारी

बैठक के दौरान एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा भी सामने आया, जिसमें तबादले के बाद भी काम पर नहीं लौटे पीजी डिग्रीधारी डॉक्टरों की लापरवाही पर चर्चा की गई। डॉ. कुमार ने बताया कि 13 जून को विशेषज्ञ डॉक्टरों का तबादला किया गया था, लेकिन कई डॉक्टरों ने अब तक नई तैनाती वाली जगहों पर जॉइन नहीं किया है। ऐसे डॉक्टरों को जल्द ही कारण बताओ नोटिस भेजा जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर अनुशासनात्मक कदम भी उठाए जाएंगे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि सेवा शर्तों की अनदेखी को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आपात स्थितियों में एंबुलेंस की अनुपलब्धता पर स्थानीय साधनों से मरीजों की मदद करने के निर्देश दिए गए हैं। 108 या विभागीय एंबुलेंस न मिलने की स्थिति में स्थानीय अस्पतालों को तुरंत किसी भी उपलब्ध संसाधन से मरीज को उपचार केंद्र तक पहुंचाना होगा। इसके लिए एक स्थानीय एंबुलेंस नेटवर्क और संसाधनों की सूची पहले से तैयार रखने के निर्देश दिए गए हैं।