साक्षी मलिक के गांव में जल संकट: 25 दिनों से पानी की किल्लत
साक्षी मलिक के गांव में जल संकट: 25 दिनों की कठिनाई
साक्षी मलिक के गांव में जल संकट ने ग्रामीणों के जीवन को कठिन बना दिया है। महम के मोखरा गांव, जो चौबीसी क्षेत्र का सबसे बड़ा गांव है, पिछले 25 दिनों से पीने के पानी की गंभीर कमी का सामना कर रहा है।
गुस्साई महिलाओं ने इस समस्या के खिलाफ जलघर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की। यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि ग्रामीणों के स्वास्थ्य और दैनिक जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
पानी की कमी: एक गंभीर समस्या
मोखरा गांव में पिछले 25 दिनों से पीने का पानी नहीं पहुंचा है। ग्रामीणों का कहना है कि नहर में तीन दिन पहले पानी आया था, लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही के कारण जलघर तक आपूर्ति नहीं हो पाई।
इससे लोग काफी परेशान हैं। पीने के पानी की कमी से बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को सबसे अधिक कठिनाई हो रही है। दैनिक आवश्यकताओं के लिए लोग दूर-दूर तक पानी खोजने को मजबूर हैं।
महिलाओं का गुस्सा: जलघर पर प्रदर्शन
स्थिति से तंग आकर मोखरा की महिलाओं ने जलघर के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी मांगें जोर-शोर से रखीं।
महिलाओं का कहना है कि कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। उन्होंने जलघर में अनियमितताओं और कर्मचारियों पर गंभीर आरोप भी लगाए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कर्मचारी न केवल लापरवाही बरत रहे हैं, बल्कि जलघर में गलत काम भी कर रहे हैं।
ग्रामीणों की शिकायत और प्रशासन की चुप्पी
गांव वालों ने एक दिन पहले उच्च अधिकारियों को शिकायत दी थी, फिर भी जलघर पर कर्मचारी अनुपस्थित रहे। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने बताया कि कर्मचारी काम करने के बजाय गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि जलघर में अनुचित गतिविधियां हो रही हैं। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार पीने के पानी की आपूर्ति को सुचारू करे और कर्मचारियों की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई की जाए।
आगे क्या? ग्रामीणों की उम्मीद
मोखरा गांव के लोग अब सरकार से त्वरित समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। महिलाओं ने मांग की है कि जलघर से पानी की आपूर्ति जल्द शुरू हो।
वे चाहती हैं कि प्रशासन कर्मचारियों की जवाबदेही तय करे। साक्षी मलिक के गांव में जल संकट ने न केवल स्थानीय लोगों को परेशान किया है, बल्कि यह सवाल भी उठाया है कि कब तक ग्रामीण क्षेत्रों में पानी जैसी बुनियादी जरूरतें अनदेखी होती रहेंगी।