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सिमरन की प्रेरणादायक कहानी: कबाड़ी के घर से माइक्रोसॉफ्ट तक का सफर

सिमरन की कहानी हरियाणा के हिसार जिले के एक छोटे से गांव से शुरू होती है, जहां एक कबाड़ी के परिवार में जन्मी सिमरन ने अपनी मेहनत और लगन से माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनी में इंजीनियर के पद पर 55 लाख रुपये का पैकेज हासिल किया। यह कहानी न केवल उसकी व्यक्तिगत सफलता की है, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं। जानें कैसे सिमरन ने अपने संघर्षों को पार किया और अपने परिवार का नाम रोशन किया।
 

सिमरन की सफलता की कहानी

सिमरन की सफलता की कहानी: माइक्रोसॉफ्ट से 55 लाख का पैकेज सिमरन की यात्रा उन सभी के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों के सामने हार नहीं मानते।


हरियाणा के हिसार जिले के छोटे से गांव बालसमंद की सिमरन ने अपनी मेहनत और लगन से ऐसा मुकाम हासिल किया है, जिस पर देश गर्व महसूस कर रहा है। साधारण परिवार से आने वाली सिमरन को अमेरिका की प्रमुख कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया है, और उन्हें 55 लाख रुपये सालाना का शानदार पैकेज दिया गया है। यह कहानी सिर्फ सिमरन की नहीं, बल्कि उन सभी की है जो अपने सपनों को साकार करने का जज़्बा रखते हैं।


कबाड़ी के घर से माइक्रोसॉफ्ट तक का सफर


सिमरन के पिता, राजेश कुमार, कबाड़ी का काम करते हैं। वे गलियों में घूमकर कबाड़ इकट्ठा करते हैं और बर्तन बेचते हैं, जिससे उनकी रोज़ी-रोटी चलती है। उनकी कमाई महज 300-500 रुपये प्रतिदिन होती थी, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी की शिक्षा में कभी कमी नहीं आने दी।


सिमरन बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ थी। उसने 17 साल की उम्र में JEE परीक्षा पास की और हिमाचल प्रदेश के आईआईटी मंडी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। यह उनके परिवार के लिए गर्व का क्षण था।


सिमरन की रुचि कंप्यूटर साइंस में थी। उसने इंजीनियरिंग के साथ-साथ इस विषय में भी गहन अध्ययन किया। उसकी मेहनत का फल तब मिला जब उसे माइक्रोसॉफ्ट हैदराबाद में इंटर्नशिप का अवसर मिला।


माइक्रोसॉफ्ट में प्रतिभा का प्रदर्शन


माइक्रोसॉफ्ट में इंटर्नशिप के दौरान सिमरन ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। कंपनी उनकी काबिलियत से इतनी प्रभावित हुई कि उसे पूर्णकालिक इंजीनियर के तौर पर नियुक्त कर लिया गया। 30 जून, 2025 को सिमरन ने माइक्रोसॉफ्ट में जॉइन किया।


यह खबर सुनकर उनके परिवार की आंखों में खुशी के आंसू थे। सिमरन के पिता राजेश ने कहा, “मेरी बेटी ने हमें ऐसा गौरव दिया है, जैसे पूरी दुनिया की खुशियां हमारी झोली में आ गई हों।” यह उपलब्धि न केवल सिमरन की मेहनत का परिणाम है, बल्कि उनके माता-पिता के बलिदान की भी गवाही देती है।


सिमरन की कहानी से प्रेरणा


सिमरन की सफलता आज हरियाणा के युवाओं के लिए एक मिसाल बन गई है। उन्होंने साबित किया है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी बाधा सपनों को रोक नहीं सकती।


कबाड़ी के घर से निकलकर माइक्रोसॉफ्ट तक का उनका सफर हर उस व्यक्ति को प्रेरित करता है जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखता है। सिमरन की कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत और विश्वास के साथ हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।