×

सीमा सुरक्षा बल के जवानों के घरेलू कामों में उपयोग पर सवाल उठे

सीमा सुरक्षा बल के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल संजय यादव ने एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जवानों का बड़े पैमाने पर घरेलू कामों में उपयोग किया जा रहा है। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय और बीएसएफ को नोटिस जारी किया है। यादव का कहना है कि यह स्थिति न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालती है, बल्कि सार्वजनिक धन का भी अनुचित उपयोग करती है। जानें इस मामले में हाईकोर्ट का क्या रुख है और जवानों की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
 

सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर चिंताएँ

सीमा सुरक्षा बल (BSF) के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल संजय यादव द्वारा दायर की गई जनहित याचिका ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यादव का आरोप है कि अर्धसैनिक बलों के जवानों का बड़े पैमाने पर घरेलू कार्यों में उपयोग किया जा रहा है, जिससे न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है, बल्कि सार्वजनिक धन का भी अनुचित उपयोग हो रहा है।


जवानों का निजी कामों में उपयोग

याचिकाकर्ता संजय यादव ने बताया कि देश के जवान, जिनकी जिम्मेदारी सीमाओं की रक्षा और आंतरिक सुरक्षा है, उन्हें अधिकारियों के घरों में निजी कार्यों के लिए तैनात किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मामलों में जवानों को वरिष्ठ अधिकारियों के पालतू कुत्तों की देखभाल करने के लिए भी लगाया जा रहा है। यह स्थिति अत्यंत शर्मनाक और चिंताजनक है।


दिल्ली हाईकोर्ट की कार्रवाई

हाईकोर्ट की सख्ती और नोटिस


दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने इस मामले पर गंभीर रुख अपनाते हुए गृह मंत्रालय और बीएसएफ को नोटिस जारी किया है। अदालत ने अधिकारियों से पूछा है कि इस तरह के दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए। कोर्ट ने कहा कि जवानों की ऊर्जा और समय का उपयोग सीमा सुरक्षा और आंतरिक शांति बनाए रखने में होना चाहिए, न कि घरेलू कार्यों में।


सुरक्षा और संसाधनों पर प्रभाव

सुरक्षा और संसाधनों पर असर


याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में सीएपीएफ और असम राइफल्स में 83,000 से अधिक पद खाली हैं। ऐसे में जवानों का घरेलू कार्यों में लगना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। इससे न केवल सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि जवानों का मनोबल भी गिरता है। इसके अलावा, यह स्थिति करदाताओं के पैसे पर अतिरिक्त बोझ डालती है।


पुराने आदेशों की अनदेखी

पुराने आदेश और कार्रवाई का अभाव


संजय यादव ने अपने तर्क में 21 सितंबर 2016 के एक कार्यालय ज्ञापन का हवाला दिया है, जिसमें स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि रिटायरमेंट के बाद अधिकारियों को मिले विशेषाधिकार जैसे सुरक्षा कर्मी, वाहन और अन्य सुविधाएं एक महीने के भीतर वापस ले ली जाएं। इसके बाद बीएसएफ ने 131 जवानों की सूची भी तैयार की थी जो सेवानिवृत्त अधिकारियों के निजी कामों में लगे थे। लेकिन यादव का आरोप है कि अब तक न तो इन जवानों को वापस बुलाया गया और न ही सेवानिवृत्त अधिकारियों से बकाया वसूली की गई।