सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: बिहार में मतदाता सूची में बदलाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता जरूरी
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
नई दिल्ली। बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। आजादी दिवस से एक दिन पहले, गुरुवार को, अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग को उन 65 लाख मतदाताओं की एक अलग सूची जारी करनी होगी, जिनके नाम काटे गए हैं। इस सूची में यह भी स्पष्ट करना होगा कि किस कारण से किसी मतदाता का नाम हटाया गया है। चुनाव आयोग ने बताया कि ये नाम मृत्यु, स्थायी रूप से स्थानांतरित होने और दोहराव के कारण हटाए गए हैं।
सुनवाई और आदेश
गुरुवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच में तीसरे दिन सुनवाई हुई। अदालत ने निर्देश दिया कि जिन 65 लाख मतदाताओं का नाम मसौदा मतदाता सूची में नहीं है, उनकी जानकारी 48 घंटे के भीतर जिला चुनाव अधिकारी की वेबसाइट पर साझा की जाएगी। इसके साथ ही, यह भी बताया जाएगा कि उनका नाम क्यों हटाया गया। यह सूची सभी संबंधित बूथ लेवल अधिकारियों, पंचायत भवनों और प्रखंड विकास पदाधिकारी कार्यालयों के बाहर प्रदर्शित की जाएगी। अदालत ने इस सूचना को प्रमुख समाचार पत्रों, टीवी और रेडियो के माध्यम से प्रसारित करने का भी आदेश दिया है।
पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड
सर्वोच्च अदालत ने एक और महत्वपूर्ण आदेश दिया है कि जिनका नाम सूची में नहीं है, उनके पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड को मान्यता दी जाएगी। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग से पारदर्शिता के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी मांगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने मतगणना प्रपत्र जमा किए हैं, वे वर्तमान में मतदाता सूची में शामिल हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा कि यह कार्रवाई नागरिकों के मताधिकार को प्रभावित कर सकती है, इसलिए निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।
मशीन रीडेबल मतदाता सूची
अदालत में मशीन रीडेबल मतदाता सूची पर भी चर्चा हुई। राहुल गांधी ने बार-बार कहा है कि आयोग उन्हें मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट नहीं दे रहा है। इस पर जस्टिस बागची ने सवाल उठाया कि जब सभी नाम बोर्ड पर चिपकाए जा सकते हैं, तो उन्हें वेबसाइट पर क्यों नहीं डाला जा सकता। राकेश द्विवेदी ने बताया कि एक पुराने फैसले में मतदाता सूची को पूरी तरह खोज योग्य बनाने पर गोपनीयता संबंधी आपत्ति उठाई गई थी। इस बीच, विपक्षी पार्टियों ने इस फैसले को जनता की जीत बताया है।