सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: आदिवासी युवक की मौत के मामले में पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
राष्ट्रीय समाचार: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने सवाल उठाया कि जिन पुलिस अधिकारियों पर आदिवासी युवक की मौत का आरोप है, उन्हें गिरफ्तार करने के लिए अदालत के आदेश की आवश्यकता क्यों पड़ी। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने इस देरी पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की। कोर्ट ने यह भी पूछा कि इतने महीनों के बाद भी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई, यह एक गंभीर मुद्दा है।
घटना का विवरण
यह मामला जुलाई 2024 का है, जब मध्य प्रदेश के म्याना थाने में देव पारधी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों उत्तम सिंह और संजीव सिंह ने उसे बुरी तरह प्रताड़ित किया। इस घटना का एकमात्र गवाह मृतक का चाचा था, जिस पर भी हमला किया गया। परिवार का कहना है कि गवाह को झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश की गई ताकि उसकी गवाही कमजोर हो सके।
सुप्रीम कोर्ट का पूर्व आदेश
मामले की स्थानीय जांच में खामियों के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने मई 2024 में इसे सीबीआई को सौंपा था। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि एक महीने के भीतर आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हुई। इसके बाद पीड़ित परिवार ने अदालत की अवमानना की याचिका दायर की।
राज्य सरकार पर सवाल उठाए गए
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को पहले भी फटकार लगाई थी। अदालत ने पूछा कि जब आरोपी फरार हैं, तो उनका वेतन क्यों दिया जा रहा है और उन्हें सस्पेंड करने में देरी क्यों हो रही है। अदालत ने कहा कि यह लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आखिरकार गिरफ्तारी हुई
आज अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजा ठाकरे ने कोर्ट को बताया कि दोनों आरोपी अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उत्तम सिंह को इंदौर से और संजीव सिंह को शिवपुरी से 5 अक्टूबर को पकड़ा गया। सीबीआई ने अदालत को आश्वस्त किया कि उन्होंने अदालत के निर्देशों का पालन किया है।
कोर्ट ने सफाई मांगी
हालांकि, कोर्ट ने फिर से सवाल उठाए कि गिरफ्तारी तब क्यों हुई जब अदालत की अवमानना याचिका दायर की गई। जजों ने कहा कि अगर अदालत कड़ा रुख नहीं अपनाती, तो शायद कार्रवाई भी नहीं होती। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला बंद नहीं होगा और सीबीआई को पूरी सफाई देनी होगी।
पीड़ित परिवार की उम्मीदें
देव पारधी का परिवार न्याय की लड़ाई लड़ रहा है। उनका मानना है कि न्याय तभी मिलेगा जब दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी आश्वासन दिया है कि वह मामले को अधूरा नहीं छोड़ेगा। अदालत की सख्ती से उम्मीद है कि अब जांच तेजी से आगे बढ़ेगी और आदिवासी युवक की मौत के जिम्मेदार अधिकारियों को सजा मिलेगी।