सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण कानूनों पर आठ राज्यों को भेजा नोटिस
धर्मांतरण कानूनों पर सुनवाई
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण से संबंधित कानूनों के खिलाफ आठ राज्यों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने इन राज्यों को चार हफ्ते के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। दरअसल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक के कानूनों को चुनौती देने के लिए याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने यह नोटिस जारी किया।
चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने कहा कि भले ही इन कानूनों को फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट का नाम दिया गया है, लेकिन ये अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता को बाधित करते हैं और अंतर धार्मिक विवाहों तथा धार्मिक परंपराओं को निशाना बनाते हैं। अदालत ने वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह, संजय हेगड़े, एमआर शमशाद, संजय परिख सहित अन्य याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें भी सुनीं और कहा कि मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी।
वरिष्ठ वकील चंदर उदय सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 2024 में धर्मांतरण से संबंधित कानून में संशोधन किया गया है, जिसके तहत सजा को 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक बढ़ा दिया गया है। जमानत की शर्तें भी सख्त कर दी गई हैं और तीसरे पक्ष को शिकायत दर्ज कराने का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे चर्च की प्रार्थनाओं या अंतर धार्मिक शादियों में शामिल व्यक्तियों को भी भीड़ और संगठनों के उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।