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सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 10 निजी डेंटल कॉलेजों पर 10-10 करोड़ का जुर्माना लगाया

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 10 निजी डेंटल कॉलेजों पर 10-10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना दाखिले के नियमों के उल्लंघन के कारण लगाया गया है। अदालत ने छात्रों को राहत देते हुए उनकी डिग्री को वैध कर दिया है, लेकिन उन्हें कुछ शर्तों का पालन करने के लिए भी कहा गया है। जानें इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में और क्या है इसके पीछे की कहानी।
 

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय


बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी में दाखिले के नियमों का उल्लंघन


सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 10 निजी डेंटल कॉलेजों पर 10-10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि सभी कॉलेजों को आठ सप्ताह के भीतर राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (आरएसएलएसए) में जमा करनी होगी। यह धनराशि सामाजिक कल्याण कार्यों जैसे वन स्टॉप सेंटर, नारी निकेतन, वृद्धाश्रम और बाल देखभाल संस्थानों में उपयोग की जाएगी।


कॉलेजों और राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल

इन कॉलेजों पर आरोप है कि उन्होंने बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) में दाखिले के नियमों का उल्लंघन किया। अदालत ने कहा कि इन संस्थानों ने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की, जिससे चिकित्सा शिक्षा के मानकों को नुकसान पहुंचा।


राजस्थान सरकार को भी दिया गया आदेश


न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति जेके महेश्वरी की पीठ ने कॉलेजों के साथ-साथ राज्य सरकार की भूमिका पर भी नाराजगी जताई। अदालत ने बीडीएस दाखिले (शैक्षणिक सत्र 2016-17) में कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने पर राजस्थान सरकार को 10 लाख रुपये आरएसएलएसए में जमा करने का आदेश दिया।


मामले का सारांश

बीडीएस में दाखिले के लिए एनईईटी परीक्षा में न्यूनतम प्रतिशत निर्धारित है। राजस्थान सरकार ने बिना अधिकार के इस न्यूनतम प्रतिशत में पहले 10 प्रतिशत और फिर 5 प्रतिशत की छूट दी। इस छूट के कारण कई छात्रों को दाखिला मिला, जो तय पात्रता को पूरा नहीं करते थे। कुछ कॉलेजों ने इस छूट से भी आगे जाकर छात्रों को दाखिला दिया, जो पूरी तरह नियमों के खिलाफ था।


छात्रों को मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय आधार पर 2016-17 में दाखिला पाए छात्रों को राहत दी। अदालत ने अपने विशेष अधिकार का उपयोग करते हुए उनकी बीडीएस डिग्री को वैध कर दिया। हालांकि, जिन छात्रों को राहत मिली है, उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे राजस्थान हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करें और राज्य में आपदा, महामारी या किसी आपात स्थिति में नि:शुल्क सेवा देने के लिए तैयार रहें।