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सुप्रीम कोर्ट में जज बनने की राह पर आलोक अराधे और विपुल एम पंचोली

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल एम पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में पदोन्नति देने की सिफारिश की है। इस निर्णय से सर्वोच्च न्यायालय की संख्या 34 न्यायाधीशों तक पहुंच जाएगी, जिससे न्यायपालिका की कार्यक्षमता में सुधार होगा। जानें इन दोनों न्यायाधीशों के करियर के बारे में और उनकी उपलब्धियों के बारे में।
 

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की महत्वपूर्ण सिफारिश

सोमवार को, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल एम पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में पदोन्नति देने की सिफारिश की। यह निर्णय मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता में हुई पांच सदस्यीय कॉलेजियम की बैठक में लिया गया।


कॉलेजियम की बैठक का विवरण

इस बैठक में सीजेआई गवई के साथ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस बीवी नागरत्ना भी मौजूद थे। दोनों न्यायाधीशों के नामों को मंजूरी मिलने पर, सर्वोच्च न्यायालय की संख्या 34 न्यायाधीशों तक पहुंच जाएगी, जिससे न्यायपालिका की कार्यक्षमता में सुधार होगा और मामलों के निपटारे में मदद मिलेगी।


जस्टिस आलोक अराधे का परिचय

जस्टिस आलोक अराधे का जन्म 1964 में हुआ। उन्होंने अप्रैल 2007 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में अपने न्यायिक करियर की शुरुआत की। वे मध्य प्रदेश के जबलपुर में सिविल, संवैधानिक, मध्यस्थता और कंपनी मामलों में वकालत करते थे। दिसंबर 2009 में, उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में कार्यभार संभाला और फरवरी 2011 में स्थायी न्यायाधीश बने।


इसके बाद, सितंबर 2016 में उनका स्थानांतरण जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में हुआ, जहां उन्होंने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया। नवंबर 2018 में, उन्हें कर्नाटक हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया गया, जहां उन्होंने जुलाई 2022 से अक्टूबर 2022 तक कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला। जुलाई 2023 में, वे तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और एक वर्ष बाद जुलाई 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए।


जस्टिस विपुल एम पंचोली का परिचय

जस्टिस विपुल एम पंचोली का जन्म मई 1968 में अहमदाबाद में हुआ। उन्होंने सितंबर 1991 में गुजरात हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। उन्होंने मार्च 2006 तक सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में सात वर्षों तक कार्य किया। अक्टूबर 2014 में, उन्हें गुजरात हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में नियुक्त किया गया और जून 2016 में वे स्थायी न्यायाधीश बने।


लगभग दस वर्षों तक गुजरात हाईकोर्ट में सेवा देने के बाद, जुलाई 2023 में उनका ट्रांसफर पटना हाईकोर्ट हुआ, जहां उन्होंने न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। दो वर्षों के बाद, जुलाई 2025 में उन्हें पटना हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।