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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका: पहचान छिपाने का मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए नाम के स्थान पर XXX लिखा है। यह याचिका एक आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती देती है, जिसमें उनके खिलाफ नकदी बरामदगी से संबंधित आरोप हैं। इस मामले में कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण से कई सवाल उठ रहे हैं। जानें इस याचिका का पूरा विवरण और सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई की प्रक्रिया के बारे में।
 

जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई

जस्टिस यशवंत वर्मा: इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। यह याचिका एक आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती देती है, जिसमें उनके खिलाफ नकदी बरामदगी से संबंधित आरोपों का उल्लेख है। इस याचिका में एक अनोखी बात यह है कि उन्होंने अपनी पहचान छिपाने के लिए नाम के स्थान पर XXX लिखा है।


सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में आमतौर पर यौन उत्पीड़न, नाबालिगों के मामलों और विवाह विवादों में पहचान छिपाने की अनुमति होती है। लेकिन एक मौजूदा हाईकोर्ट जज द्वारा खुद को XXX के रूप में संदर्भित करना कई सवाल उठाता है। यह मामला कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील बन गया है।


याचिका में XXX का उल्लेख क्यों?

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका में उनके नाम के स्थान पर XXX लिखा गया है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर यह याचिका XXX बनाम भारत संघ के नाम से पंजीकृत है। आमतौर पर, पहचान छिपाने की अनुमति उन मामलों में दी जाती है जहां पीड़ित महिला होती है या मामला नाबालिग से संबंधित होता है।


याचिका का विवरण और नंबर

यह याचिका इस वर्ष की 699वीं सिविल रिट याचिका है, जिसमें भारत सरकार को पहले और सुप्रीम कोर्ट को दूसरे प्रतिवादी के रूप में रखा गया है। इसे 17 जुलाई को दाखिल किया गया था। रजिस्ट्री द्वारा कुछ तकनीकी खामियों की पहचान के बाद, इन्हें ठीक किया गया और 24 जुलाई को याचिका को सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया गया।


सुनवाई किस बेंच के सामने होगी?

यह याचिका जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के सामने सूचीबद्ध की गई है। सुप्रीम कोर्ट की काज लिस्ट के अनुसार, यह याचिका सोमवार को 56वें क्रम में सुनवाई के लिए रखी गई है। इसी दिन 59वें क्रम पर एक और महत्वपूर्ण याचिका है, जो एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्पारा द्वारा दायर की गई है। इसमें जस्टिस वर्मा के खिलाफ नकदी जलाने और गायब होने की घटना की FIR दर्ज करने की मांग की गई है।


जस्टिस वर्मा ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा 8 मई को संसद को भेजी गई सिफारिश को भी रद्द करने की मांग की है। इस सिफारिश में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया गया था।


उनकी याचिका में यह भी कहा गया है कि जांच समिति ने आरोपों की जांच का भार बचाव पक्ष पर डाल दिया, जो न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। जस्टिस वर्मा ने याचिका में तर्क किया कि इस प्रकार की जांच ने उन्हें खुद को निर्दोष साबित करने के लिए मजबूर कर दिया, जो न्यायसंगत प्रक्रिया नहीं है।