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सूरत डायमंड हब पर ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव: व्यापार में गिरावट

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध ने सूरत डायमंड हब को गंभीर आर्थिक संकट में डाल दिया है। अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ के कारण व्यापारियों को ऑर्डर रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे निर्यात में भारी गिरावट आएगी, जिससे लाखों लोगों की नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है। जानें इस संकट के पीछे की वजह और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

सूरत डायमंड हब संकट

सूरत डायमंड हब संकट: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में संकट उत्पन्न कर दिया है। अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लागू किया है, जिससे सूरत, जो कि देश का प्रमुख डायमंड हब है, के व्यापारियों को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 2024 में भारत ने अमेरिका को 9,236.46 मिलियन डॉलर मूल्य के डायमंड और आभूषण निर्यात किए, जबकि ब्रिटेन को केवल 941 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ। अमेरिका में हीरे का आयात करने का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा 28% इजराइल से आता है।


व्यापारियों की चिंता

ऑर्डर नहीं ले रहे व्यापारी


सूरत की बड़ी हीरा कंपनियां अमेरिकी ग्राहकों से क्रिसमस के लिए मिलने वाले ऑर्डर को रद्द कर रही हैं, जो कि टैरिफ के कारण एक बड़ा झटका माना जा रहा है। भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में सोना, चांदी और डायमंड निर्यात करता है, जो आने वाले त्योहारों के सीजन में साल भर की कुल बिक्री का लगभग आधा हिस्सा होता है।


निर्यात में गिरावट

कितना गिरा हीरों का निर्यात?


कटे और पॉलिश किए गए हीरों का निर्यात 2021-22 में 9.86 अरब अमेरिकी डॉलर से घटकर 2024-25 में 4.81 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी महीनों में 50% टैरिफ लागू होने से भारत को बड़ा नुकसान होगा, विशेषकर गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में। इसके परिणामस्वरूप लगभग एक लाख नौकरियों पर संकट आ सकता है।


हीरे की कटाई, पॉलिशिंग, सोने-चांदी को अलग करना और आभूषण के रूप में तैयार करने में लाखों लोग कार्यरत हैं। ऐसे में, हीरा कंपनियों और व्यापारियों के कर्मचारियों के लिए समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2025 से पहले अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले सीपीडी और एलजीडी हीरों पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाता था।