हजारीबाग के किसानों के लिए मल्चिंग तकनीक से तिगुना लाभ
कृषि समाचार: बारिश में भी फसल सुरक्षित, जानें कैसे मिला तिगुना लाभ
कृषि समाचार: बारिश में भी फसल सुरक्षित, जानें कैसे मिला तिगुना लाभ: (मल्चिंग विधि से सब्जी की खेती) अब हजारीबाग के किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। तकनीकी बदलावों के साथ, किसान अब पारंपरिक तरीकों को छोड़कर आधुनिक विधियों को अपनाने लगे हैं। हजारीबाग जिले के ढेगुरा गांव के किसान प्रमोद यादव ने बताया कि मल्चिंग तकनीक ने उनकी आमदनी को तिगुना कर दिया है।
यह विधि मिट्टी की नमी को बनाए रखती है और फसल को कीटों तथा मौसम के प्रतिकूल प्रभावों से बचाती है। खासकर बरसात के मौसम में, जब अन्य किसानों की फसलें खराब हो गईं, मल्चिंग अपनाने वाले किसानों की फसलें सुरक्षित रहीं। (मल्चिंग विधि) का उपयोग अब पुराने और नए दोनों किसान कर रहे हैं।
बारिश में भी सुरक्षित रही फसल
हजारीबाग में पिछले दो महीनों से मानसून सक्रिय है। प्रतिदिन बारिश हो रही है, जिससे खेतों में पानी भरने और फसल खराब होने का खतरा बना रहता है। लेकिन जिन किसानों ने (पॉली मल्चिंग) और (ड्रिप सिंचाई) का सहारा लिया, उनकी फसलें न केवल सुरक्षित रहीं बल्कि उत्पादन भी बेहतर हुआ।
मल्चिंग के लिए पुआल, सूखी घास, खरपतवार, राख और प्लास्टिक शीट का उपयोग किया जाता है। यह विधि मिट्टी को ठंडा रखती है और खरपतवार को बढ़ने से रोकती है। इससे फसल को पर्याप्त पोषण मिलता है और उत्पादन में वृद्धि होती है।
एक लागत में तीन फसलें: मुनाफे का गणित
किसान प्रमोद यादव बताते हैं कि एक बार मल्चिंग और ड्रिप सिस्टम लगाने के बाद सालभर उसी खेत में तीन फसलें ली जा सकती हैं। इससे लागत कम होती है और मुनाफा बढ़ता है। (लाभकारी खेती) के लिए यह तकनीक बेहद उपयोगी है।
यह विधि खासकर सब्जी की खेती में कारगर है। टमाटर, भिंडी, बैंगन जैसी फसलें मल्चिंग से बेहतर उत्पादन देती हैं। हजारीबाग की रेतीली दोमट मिट्टी में यह तकनीक और भी प्रभावी साबित हो रही है।