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हमीरपुर में खाद संकट: किसानों का प्रशासन से टकराव और एसडीएम का विवादित बयान

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में खाद की कमी ने किसानों और प्रशासन के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। कई किसान खाद न मिलने के कारण परेशान हैं और एसडीएम का विवादित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। प्रशासन की खाद वितरण प्रणाली में असमानता की शिकायतें भी सामने आई हैं। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। जानें इस मामले में और क्या हो रहा है।
 

हमीरपुर में खाद वितरण की समस्या

Hamirpur Fertilizer Distribution : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के मौदहा कस्बे में खाद की कमी के चलते किसानों और प्रशासन के बीच तनाव बढ़ गया है। कई किसान खाद की अनुपलब्धता के कारण सुबह से ही लाइन में खड़े थे, लेकिन निर्धारित समय पर खाद समिति के गोदाम में कोई कर्मचारी नहीं आया। इससे नाराज किसानों ने नेशनल हाईवे 34 पर जाम लगा दिया, जिससे यातायात प्रभावित हुआ।


एसडीएम का गुस्सा और किसानों की नाराजगी

SDM का किसानों पर फूटा गुस्सा
जाम की सूचना मिलने पर एसडीएम पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे और किसानों को समझाकर जाम खुलवाया। उन्होंने माइक के जरिए किसानों को खाद जल्द उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। लेकिन जब कुछ किसानों ने खाद वितरण में धांधली और कुप्रबंधन की शिकायत की, तो एसडीएम का गुस्सा भड़क गया। उन्होंने माइक पर कहा, "एक थप्पड़ मारूंगा तो पेशाब निकल जाएगा," जो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया और किसानों में भारी रोष उत्पन्न कर दिया।


खाद वितरण में असमानता की समस्या

खाद वितरण में होती है असमानता 
हमीरपुर के किसानों ने बताया कि खाद की कमी और लंबी प्रतीक्षा ने उनकी समस्याओं को बढ़ा दिया है। अक्सर वे खाली हाथ लौटते हैं, जबकि कुछ लोग विशेष पहुंच के कारण आसानी से खाद प्राप्त कर लेते हैं। प्रशासन द्वारा पुलिस सुरक्षा में खाद वितरण किया जा रहा है, लेकिन यह व्यवस्था किसानों के लिए न्यायपूर्ण नहीं लग रही। इस कारण किसान आक्रोशित हैं और खाद वितरण में सुधार की मांग कर रहे हैं।


खाद में धांधली से उपजी समस्याएं

खाद में धांधली से होती है परेशानियां 
खाद की कमी और वितरण में धांधली की खबरें प्रशासन के लिए एक चुनौती बन गई हैं। किसानों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए अधिकारियों को तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि खाद सभी किसानों तक सही समय पर पहुंचे। साथ ही, विवादित बयानों से बचते हुए प्रशासन को किसानों के साथ बेहतर संवाद स्थापित करना होगा ताकि विश्वास बहाल हो सके और स्थिति नियंत्रण में आ सके।


कृषि क्षेत्र की संवेदनशीलता

यह मामला दर्शाता है कि कृषि से जुड़े साधारण मुद्दे भी तनावपूर्ण परिस्थितियों का निर्माण कर सकते हैं और प्रशासनिक संवेदनशीलता की आवश्यकता होती है। किसानों की सहायता और सम्मान के बिना कोई भी सुधार सफल नहीं हो सकता।