हरियाणा में जन्मजात हृदय दोष के मामलों में वृद्धि
हरियाणा में जन्मजात हृदय दोष की बढ़ती घटनाएं
कैथल, हरियाणा: हरियाणा में जन्म के समय बच्चों के दिल में छेद होने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। पिछले वर्ष कैथल में 41 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि इस वर्ष केवल छह महीनों में 48 बच्चे इस समस्या के साथ पैदा हुए हैं। जींद, अंबाला, यमुनानगर और कैथल में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। पिछले ढाई वर्षों में इन चार जिलों में कुल 410 बच्चे इस जन्मजात दोष के साथ पैदा हुए हैं।
गर्भावस्था में दवाओं का प्रभाव
काउंसलिंग के दौरान यह पता चला है कि 45% मामलों में माताओं ने गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप और शुगर की दवाएं नियमित रूप से ली थीं। चिकित्सकों का मानना है कि इन दवाओं का गर्भ में पल रहे बच्चे के दिल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
एक पिता की दर्दनाक कहानी
कैथल के जनकपुरी कॉलोनी के निवासी राजीव शर्मा ने बताया कि उनके 6 वर्षीय बेटे को हमेशा सांस लेने में कठिनाई और जल्दी थकान महसूस होती थी। जांच के दौरान पता चला कि उसके दिल में छेद है। उनकी पत्नी ने गर्भावस्था के दौरान बीपी और शुगर की दवाएं ली थीं, और डॉक्टरों का कहना है कि यही समस्या का कारण बनी।
चार जिलों में मामलों की संख्या (अप्रैल 2024 से सितंबर 2025 तक)
कैथल: 48 बच्चे
यमुनानगर: 51 बच्चे
अंबाला: 67 बच्चे
जींद: 70 बच्चे
सरकार की सहायता उपलब्ध
कैथल के डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. विकास धवन ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों के जन्मजात दोष का मुफ्त इलाज किया जाता है। इसके अलावा, 10 से 19 वर्ष के किशोरों के लिए आरकेएसके योजना भी चल रही है। कैथल में 11 टीमें कार्यरत हैं, जिनमें एक पुरुष और एक महिला डॉक्टर, फार्मासिस्ट और एएनएम शामिल हैं।