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हरियाणा सरकार पर कोर्ट का ₹50,000 का जुर्माना: महत्वपूर्ण फैसला

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया है। यह निर्णय सुरेंद्र नामक कांस्टेबल की नियुक्ति में देरी के मामले में आया है, जहां सरकार ने न्यायालय के आदेशों की अनदेखी की। अदालत ने सरकार को दो सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने और जुर्माना भरने का निर्देश दिया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और अदालत के फैसले के पीछे की वजहें।
 

कोर्ट का आदेश: हरियाणा सरकार को देना होगा जुर्माना

हरियाणा सरकार पर कोर्ट की चेतावनी! ₹50,000 का जुर्माना: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में हरियाणा सरकार पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई इस कारण हुई है कि सरकारी अधिकारियों ने जानबूझकर न्यायालय के आदेशों की अनदेखी की।


यह मामला कांस्टेबल पद के लिए चयनित सुरेंद्र से संबंधित है, जिन्होंने 2020 में हरियाणा पुलिस भर्ती प्रक्रिया के तहत आवेदन किया था। चयन प्रक्रिया के दौरान एक FIR के कारण उनकी नियुक्ति रोक दी गई थी, लेकिन बाद में उन्हें निर्दोष घोषित किया गया।


नियुक्ति में देरी और न्याय की लड़ाई


सुरेंद्र को पहले भी अदालत से दो बार नियुक्ति पर पुनर्विचार के निर्देश मिले थे। इसके बावजूद, हरियाणा सरकार ने तीसरी बार उनकी नियुक्ति को नजरअंदाज कर दिया। सरकार ने FIR की पुनरीक्षण याचिका का हवाला देकर नियुक्ति को खारिज कर दिया।


हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि नियुक्ति प्रक्रिया का सत्यापन पहले ही 2023 में पूरा हो चुका था और सरकार का तर्क निराधार था। इस निष्क्रियता पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की।


दो हफ्ते में नियुक्ति आदेश और जुर्माना भरने का निर्देश


अदालत ने सुरेंद्र को दो सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने और उसी तिथि से सभी काल्पनिक सेवा लाभ देने का आदेश दिया है। हालांकि, पिछला वेतन नहीं मिलेगा।


साथ ही, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को ₹50,000 का जुर्माना दो सप्ताह के भीतर भरने का निर्देश दिया है — यह अफसरशाही के अड़ियल रवैये के खिलाफ एक सख्त संदेश माना जा रहा है।