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हाईकोर्ट ने यूपी के स्कूलों के मर्जर के खिलाफ याचिका खारिज की

लखनऊ हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 5000 स्कूलों के मर्जर के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने सरकार के निर्णय को बच्चों के हित में बताया और कहा कि नीतिगत निर्णयों को चुनौती नहीं दी जा सकती जब तक वे असंवैधानिक न हों। इस निर्णय के पीछे सरकार का तर्क था कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून का उल्लंघन बताया। जानें इस महत्वपूर्ण फैसले के बारे में और क्या है इसके पीछे की कहानी।
 

लखनऊ हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय


लखनऊ। लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश में 5000 स्कूलों के मर्जर के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने सरकार के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि यह बच्चों के हित में है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नीतिगत निर्णयों को तब तक चुनौती नहीं दी जा सकती जब तक वे असंवैधानिक या दुर्भावनापूर्ण न हों।


बेसिक शिक्षा विभाग ने 16 जून, 2025 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें यूपी के हजारों स्कूलों को बच्चों की संख्या के आधार पर नजदीकी उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने का निर्देश दिया गया था। सरकार का तर्क था कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होगा।


इस आदेश के खिलाफ सीतापुर जिले की छात्रा कृष्णा कुमारी सहित 51 बच्चों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि यह आदेश मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून (RTE Act) का उल्लंघन करता है।


उन्होंने चिंता जताई कि छोटे बच्चों के लिए नए स्कूलों तक पहुंचना मुश्किल होगा, जिससे उनकी पढ़ाई में बाधा आएगी और असमानता भी बढ़ेगी। 4 जुलाई को जस्टिस पंकज भाटिया ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था। आज दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया।