हिमाचल उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय: भूमि उपयोग की अवधि पर स्पष्टता
भूमि उपयोग के लिए निर्धारित अवधि की आवश्यकता
शिमला - हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118 के तहत भूमि का उपयोग स्वीकृत उद्देश्य के लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाना अनिवार्य है। हालांकि, पूरी परियोजना को इस समय सीमा के भीतर पूरा करना आवश्यक नहीं है।
न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने मेसर्स स्प्रिंगडेल रिसॉर्ट्स एंड विला प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इस कंपनी को सोलन जिले में एक एकीकृत आवास परियोजना के लिए 2021 में तीन साल की वैध अनुमति प्राप्त हुई थी। लेकिन फरवरी 2024 में नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने यह कहते हुए फर्म की संशोधित भवन योजनाओं पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया कि धारा 118 की अनुमति समाप्त हो गई है।
न्यायालय ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि विधानमंडल ने जानबूझकर 'परियोजना पूरी करो' के बजाय 'उपयोग में लाना' शब्द का प्रयोग किया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि स्वीकृत अवधि के भीतर प्रगति दिखाना कानूनी आवश्यकता को पूरा करता है। कंपनी ने तर्क दिया कि निर्माण कार्य पहले से ही चल रहा था और कोविड-19 महामारी तथा विभागीय स्वीकृतियों में देरी के कारण इसमें बाधा आई। न्यायालय ने इसे विरोधाभासी पाया कि अधिकारियों ने मूल तीन साल की अवधि समाप्त होने के केवल 10 दिन बाद ही अनुमति समाप्त घोषित कर दी, जबकि सक्रिय निर्माण कार्य शुरू हो चुका था।
न्यायमूर्ति गोयल ने कहा कि विभाग ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है। उन्होंने कहा कि उसकी भूमिका संशोधित योजनाओं की जांच तक सीमित थी। धारा 118 के अनुमोदन की वैधता पर सवाल उठाने का अधिकार उसे नहीं है। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि कंपनी ने स्वीकृत उद्देश्य के लिए भूमि का उपयोग शुरू कर अपने कानूनी दायित्वों को पूरा किया था और राज्य सरकार का अनुमति समाप्त करने का निर्णय गलत है।