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हिमाचल प्रदेश में मूसलधार बारिश से भारी तबाही

हिमाचल प्रदेश में हालिया मूसलधार बारिश ने मंडी जिले में व्यापक तबाही मचाई है। कई घर और गोशालाएं ढह गई हैं, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ है। प्रशासन राहत कार्य में जुटा हुआ है, लेकिन 34 लोग अभी भी लापता हैं। बारिश के कारण 282 सड़कें बंद हो गई हैं और कई जल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। इस संकट के समय में सरकार को बेघर लोगों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने की आवश्यकता है। जानें इस प्राकृतिक आपदा के कारणों और भविष्य की चेतावनियों के बारे में।
 

मंडी जिले में बारिश का कहर

मंडी जिले में हुई मूसलधार बारिश ने व्यापक तबाही मचाई है। सराज, धर्मपुर, करसोग और सदर क्षेत्रों में बादल फटने के कारण कई घर और गोशालाएं ढह गईं, जिससे भूमि और बागों को भी नुकसान पहुंचा है। इस आपदा से करोड़ों का नुकसान हुआ है। प्रशासन और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के दल राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं, और मलबे में दबे लोगों को निकालने का प्रयास जारी है। अब तक 11 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 34 लोग अभी भी लापता हैं। प्रशासन ने 152 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। आसमानी आफत के चलते प्रदेश में 282 सड़कें बंद हो गईं और 1361 ट्रांसफार्मर तथा 639 जल योजनाएं प्रभावित हुईं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, मंडी में सबसे अधिक नुकसान हुआ है, जहां 182 सड़कें अवरुद्ध हैं और 633 ट्रांसफार्मर तथा 465 जल योजनाएं प्रभावित हैं।


भविष्य की चेतावनी और राहत कार्य

इस बीच, राज्य के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश जारी है। कसौली में पिछले शाम से 55 मिलीमीटर बारिश हुई, जबकि बग्गी में 54.8, धरमपुर में 38.8, मंडी में 36.8, सराहन में 32, सोलन में 27.4, पंडोह में 27, जुब्बड़हट्टी में 26.2 और शिमला में 24.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने शुक्रवार से रविवार तक भारी बारिश के लिए नारंगी चेतावनी जारी की है। हिमाचल प्रदेश एक बार फिर आसमानी आफत का सामना कर रहा है, जिससे करोड़ों का नुकसान हो रहा है। प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार राहत कार्यों में जुटी हुई हैं, लेकिन बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही।


आर्थिक नुकसान और राहत की आवश्यकता

हिमाचल प्रदेश के जिन क्षेत्रों में बादल फटे हैं, वहां के निवासियों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। सैकड़ों लोग बेघर हो चुके हैं और सड़कों के टूटने से यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे राहत कार्य भी बाधित हो रहा है। प्रदेश सरकार को बेघर हुए लोगों को राशन और अन्य बुनियादी सुविधाएं युद्ध स्तर पर उपलब्ध करवानी चाहिए। संकट की इस घड़ी में समाज और सरकार को मिलकर कार्य करना होगा, तभी इस आसमानी आफत का सामना किया जा सकेगा।


अवैध खनन और वनों की कटाई का प्रभाव

पिछले दिनों बादल फटने के कारण पहाड़ों से टनों लकड़ियां बहती दिखाई दीं। अवैध खनन और वनों की कटाई के कारण जलवायु पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हिमाचल में बढ़ती सैलानियों की संख्या भी प्रदूषण का कारण बन रही है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकार को अवैध खनन और वनों की कटाई के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, पर्यटन नीति में सकारात्मक बदलाव लाने की भी जरूरत है।


सामाजिक सहयोग की आवश्यकता

हिमाचल प्रदेश में नवनिर्माण की नीति पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है। बहुमंजिला इमारतों का बढ़ना भी एक समस्या बनता जा रहा है। मंडी सहित अन्य प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार को तत्पर रहना होगा।


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मुख्य संपादक का संदेश

-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक