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हिमालयी क्षेत्रों में बारिश और बादल फटने की घटनाओं का बढ़ता खतरा

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बारिश और बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसका मुख्य कारण मॉनसून की आर्द्र हवाएं और पश्चिमी विक्षोभ का संगम है। जलवायु परिवर्तन के चलते इन क्षेत्रों में बारिश की तीव्रता में वृद्धि हो रही है। जानें इन घटनाओं के पीछे के कारण और उनके प्रभाव के बारे में।
 

हिमाचल और उत्तराखंड में बारिश के कारण

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में अक्सर भारी बारिश और बादल फटने की घटनाएं देखने को मिलती हैं। इसके पीछे मुख्यतः दो कारण हैं: मॉनसून की आर्द्र हवाएं और पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव।


1. मॉनसून और पश्चिमी विक्षोभ का संगम: गर्मी के मौसम में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से निकलने वाली मॉनसून की आर्द्र हवाएं हिमालय की ओर बढ़ती हैं। इसी समय, भूमध्य सागर से उत्पन्न पश्चिमी विक्षोभ भी सक्रिय हो जाते हैं। जब ये दोनों मौसम प्रणाली पहाड़ी क्षेत्रों में मिलती हैं, तो अत्यधिक बारिश होती है, जिसे वैज्ञानिक 'ट्रू प्रवाह' कहते हैं।


2. हिमालय की ऊँचाई और ऑरोग्राफिक प्रभाव: हिमालय पर्वत श्रृंखला एक रुकावट के रूप में कार्य करती है। जब मॉनसून या पश्चिमी विक्षोभ की नम हवाएं इस पहाड़ी दीवार से टकराती हैं, तो वे ऊपर उठकर ठंडी हो जाती हैं और नमी छोड़ देती हैं, जिसे ऑरोग्राफिक बारिश कहा जाता है।


3. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण वायुमंडल में नमी की मात्रा बढ़ गई है, जिससे बारिश की तीव्रता और अवधि दोनों में वृद्धि हुई है। 2011-2020 की तुलना में हिमालयी राज्यों में भारी बारिश के दिन 118 तक पहुंच गए हैं, जबकि पिछले दशक में यह संख्या केवल 74 थी।


4. परिणाम: हाय-इंटेंसिटी इवेंट्स: इन कारणों से उत्तराखंड और हिमाचल में अचानक भारी बारिश, बादल फटना, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। जुलाई 2023 में इन दोनों राज्यों में अत्यधिक बारिश हुई, जिससे पुराने रिकॉर्ड टूट गए।