AAP का भाजपा पर स्कूल फीस बिल को लेकर हमला, जनता की राय की मांग
स्कूल फीस बिल पर आम आदमी पार्टी का तीखा विरोध
आम आदमी पार्टी (AAP) ने भाजपा सरकार पर स्कूल फीस बिल को लेकर कड़ा हमला किया है। पार्टी के नेताओं ने इस बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजने और जनता की राय लेने की मांग की है। इसके साथ ही, फीस वृद्धि को तुरंत रद्द करने की भी अपील की गई है।
जनता की राय के बिना फीस वृद्धि अस्वीकार्य
नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा, "जब तक जनता की राय नहीं ली जाती है, तब तक 2024-25 के बराबर फीस ली जाए और बढ़ी फीस को रद्द किया जाए।" उन्होंने जोर देकर कहा कि इस बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजा जाना चाहिए, जिसमें आप और भाजपा के विधायक शामिल हों। कमेटी को जनता, अभिभावकों और विशेषज्ञों से राय लेकर पारदर्शी निर्णय लेना चाहिए। आतिशी ने आरोप लगाया कि सरकार इस बिल पर चर्चा से बच रही है, क्योंकि यह प्राइवेट स्कूलों के हितों की रक्षा करता है।
शिक्षा का बाजारीकरण और मध्यम वर्ग पर बोझ
आप नेता अनिल झा ने शिक्षा के बाजारीकरण पर सवाल उठाते हुए कहा, "भाजपा सरकार प्राइवेट स्कूलों के हित में खड़ी है, इसलिए बिल पर सदन में चर्चा नहीं कराना चाहती।" उन्होंने बताया कि स्कूल जूते, यूनिफॉर्म और किताबों से लेकर खेल और आयोजनों के नाम पर अभिभावकों से भारी रकम वसूल रहे हैं। अनिल झा ने कहा, "शिक्षा का बाजारीकरण कर दिया गया है, जूते से लेकर किताबों तक सब स्कूल से खरीदने को मजबूर किया जा रहा है।" उन्होंने यह भी खुलासा किया कि कई स्कूलों के पास 50 करोड़ रुपये की सावधि जमा (FD) है, फिर भी फीस बढ़ाई जा रही है।
सरकार की निष्क्रियता पर सवाल
अनिल झा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "बिल को जानबूझकर अगस्त में लाया गया, ताकि स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि को रोका न जा सके।" उन्होंने कहा, "जब अभिभावक स्कूलों के दरवाजे पर मदद मांग रहे थे, तब सरकार चुप रही।" आप ने मांग की है कि सरकारी जमीन पर चल रहे स्कूलों की जवाबदेही तय हो और फीस वृद्धि पर तुरंत रोक लगे।
सड़क से सदन तक संघर्ष
आप ने चेतावनी दी कि अगर सरकार इस मुद्दे पर चर्चा से भागती रही, तो सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन किया जाएगा। अनिल झा ने कहा, "हम व्यापक चर्चा चाहते हैं, लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं।"