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AIIMS से डॉक्टरों का पलायन: क्या है इसके पीछे की असली वजहें?

AIIMS से डॉक्टरों के इस्तीफे की बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्य प्रणाली में चिंता का विषय बना दिया है। 2022 से 2024 के बीच 429 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया, जिनमें वरिष्ठ और जूनियर दोनों शामिल हैं। इस्तीफे के पीछे केवल वेतन नहीं, बल्कि नेतृत्व की कमी, प्रबंधन की अक्षमता और कार्य-संस्कृति का भी बड़ा हाथ है। AIIMS दिल्ली के अलावा, अन्य नए AIIMS संस्थानों में भी डॉक्टरों का पलायन हो रहा है। इस स्थिति ने संस्थान की विश्वसनीयता को प्रभावित किया है और सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है।
 

AIIMS डॉक्टरों के इस्तीफे की बढ़ती संख्या

AIIMS डॉक्टरों के इस्तीफे: भारत के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में से एक, AIIMS से डॉक्टरों के इस्तीफे अब गंभीर चिंता का विषय बन चुके हैं। संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच देशभर के AIIMS से कुल 429 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया, जिनमें से 52 डॉक्टर AIIMS दिल्ली से बाहर गए। AIIMS दिल्ली, जो कभी युवा डॉक्टरों का सपना होता था, अब पलायन का केंद्र बन गया है।


वरिष्ठ और जूनियर डॉक्टरों का इस्तीफा

जूनियर ही नहीं, वरिष्ठ डॉक्टर भी शामिल
AIIMS दिल्ली से इस्तीफा देने वालों में केवल जूनियर डॉक्टर ही नहीं, बल्कि वरिष्ठ प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष और केंद्र प्रमुख जैसे शीर्ष पदों पर बैठे डॉक्टर भी शामिल हैं। इनमें से कई नामी डॉक्टर अब निजी अस्पतालों में कार्यरत हैं। जैसे कि पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया अब मेदांता अस्पताल में हैं। कार्डियोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. शिव चौधरी फोर्टिस एस्कॉर्ट्स में, जबकि न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख रहे डॉ. शशांक शरद काले अपोलो अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं।


इस्तीफे के कारण

वेतन से अधिक हैं अन्य कारण
इन वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि इस्तीफे की मुख्य वजह केवल वेतन नहीं है। कई डॉक्टरों का मानना है कि AIIMS में नेतृत्व की कमी, प्रबंधन की अक्षमता और निर्णय लेने की प्रक्रिया में रुकावटें इस पलायन के लिए जिम्मेदार हैं। एक पूर्व विभागाध्यक्ष ने कहा कि संस्थान में काम करने का माहौल इतना खराब हो गया था कि वे अपने ही विभाग में स्वतंत्र निर्णय नहीं ले पा रहे थे।


संस्थान में नेतृत्व की कमी

वरिष्ठ पदों पर खालीपन
इतने बड़े पैमाने पर हुए इस्तीफों से AIIMS में नेतृत्व का एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है। वरिष्ठ डॉक्टरों की कमी से संस्थान की विश्वसनीयता पर असर पड़ा है। वर्तमान में अधिकांश विभागों में कार्यभार असिस्टेंट प्रोफेसर्स उठा रहे हैं, जिनके पास अपेक्षाकृत कम अनुभव है।


रोटेटरी हेडशिप नीति की स्थिति

नीति का कार्यान्वयन अधर में
AIIMS में विभागों में नेतृत्व के लिए रोटेटरी हेडशिप नीति लागू की जानी थी, लेकिन यह अब भी अधर में लटकी हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे जून 2024 तक लागू करने का निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है।


अन्य AIIMS संस्थानों की स्थिति

नए AIIMS में भी समस्या
केवल दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के अन्य नए AIIMS संस्थानों में भी डॉक्टरों का भारी पलायन हो रहा है। AIIMS रायपुर, ऋषिकेश, बिलासपुर, भोपाल और मंगलगिरी से भी कई डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं।


भर्ती में गिरावट

पदों की भरपाई में कमी
AIIMS में फैकल्टी पदों को भरने की रफ्तार चिंताजनक है। दिल्ली स्थित AIIMS में 2022-2025 के बीच हर साल 1,200 से ज्यादा पद स्वीकृत किए गए, लेकिन उनमें से एक तिहाई से अधिक पद खाली रह गए हैं।


सुधार की आवश्यकता

संस्थान की स्थिति गंभीर
AIIMS जैसे बड़े और प्रतिष्ठित संस्थान से डॉक्टरों का पलायन पूरे देश के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह केवल वेतन की बात नहीं है, बल्कि कार्य-संस्कृति, नेतृत्व, मान्यता और पेशेवर सम्मान का भी सवाल है।