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BJP के सामने नेतृत्व का संकट: उपराष्ट्रपति और अध्यक्ष चुनाव की चुनौती

भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस समय उपराष्ट्रपति और नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण निर्णयों के बीच खड़ी है। पार्टी को 9 सितंबर 2025 को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करना है, जबकि अध्यक्ष पद के चुनाव में देरी हो रही है। जे. पी. नड्डा का कार्यकाल लंबा हो चुका है, और संघ के साथ मतभेदों की चर्चा भी चल रही है। संभावित उम्मीदवारों में शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान शामिल हैं। जानें इस राजनीतिक उहापोह के पीछे की वजहें और भाजपा के लिए क्या चुनौतियाँ हैं।
 

BJP अध्यक्ष चुनाव 2025: महत्वपूर्ण निर्णयों का सामना

BJP President Election 2025: भारतीय जनता पार्टी (BJP), जो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का नेतृत्व कर रही है, इस समय दो महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्णयों के बीच खड़ी है। एक ओर 9 सितंबर 2025 को होने वाला उपराष्ट्रपति चुनाव है, और दूसरी ओर पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर चल रही उहापोह।


उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का चयन

पहली चुनौती उपराष्ट्रपति उम्मीदवार तय करना
भाजपा और एनडीए को सबसे पहले 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार का चयन करना है। हाल ही में एनडीए के सहयोगी दलों ने यह जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वर्तमान पार्टी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा को सौंपी है। इससे यह संकेत मिलता है कि नड्डा उपराष्ट्रपति चुनाव तक अपने पद पर बने रहेंगे।


नड्डा का कार्यकाल और अध्यक्ष पद पर देरी

नड्डा का कार्यकाल और अध्यक्ष पद पर देरी
जे. पी. नड्डा का कार्यकाल काफी समय से चल रहा है। वे तीन बार पार्टी अध्यक्ष रह चुके हैं। पहले यह उम्मीद थी कि पार्टी जून 2024 तक नए अध्यक्ष के लिए चुनाव कराएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब यह चुनाव लगातार टलता जा रहा है, और भाजपा और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के बीच सहमति नहीं बन पा रही है।


भाजपा और संघ के बीच मतभेद

भाजपा और संघ के बीच मतभेद की खबरें
सूत्रों के अनुसार, भाजपा और संघ के बीच पार्टी अध्यक्ष के चयन को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है। यह बातचीत जनवरी 2025 से शुरू हुई थी। शुरुआत में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का नाम सबसे आगे था, लेकिन दिल्ली चुनाव के कारण यह चर्चा थोड़े समय के लिए थम गई।


संघ की पसंद: शिवराज सिंह चौहान

संघ की पसंद, शिवराज सिंह चौहान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संघ की ओर से शिवराज सिंह चौहान के नाम पर रुचि दिखाई गई है। वे वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री हैं और लंबे समय तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। हालांकि, भाजपा नेतृत्व की इस पर राय अलग बताई जा रही है।


अन्य संभावित चेहरे

अन्य संभावित चेहरे, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान
इसके अलावा वरिष्ठ नेताओं जैसे भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान के नाम भी चर्चा में हैं। ये दोनों नेता संगठन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं और पार्टी में मजबूत पकड़ रखते हैं।


पार्टी अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया

पार्टी अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया अधूरी
भाजपा ने पार्टी संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन इसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है। पार्टी का कहना है कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्यों में होने वाले चुनावों के चलते प्रक्रिया में देरी हो रही है। हालांकि, यह भी सच है कि पार्टी 37 में से लगभग 50% राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरा कर चुकी है, जिससे यह दिखाता है कि चुनाव अब ज़्यादा दूर नहीं हैं।


मोदी और संघ के रिश्ते

मोहन भागवत और मोदी के बीच रिश्ते पर अटकलें
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा हो रही है कि भाजपा अध्यक्ष पद के चुनाव में देरी के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बीच मतभेद हो सकते हैं। हालांकि, संघ के सूत्रों ने इन अटकलों को नकारते हुए कहा कि संघ ने अध्यक्ष पद को लेकर अपने विचार साझा कर दिए हैं, लेकिन अंतिम फैसला भाजपा को ही लेना है। संघ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रधानमंत्री के काम में हस्तक्षेप नहीं करेगा।


मोदी और संघ का पुराना रिश्ता

मोदी और संघ के पुराने रिश्ते
गौर करने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी का संघ से पुराना और मजबूत रिश्ता रहा है। वर्ष 2013 में जब मोदी को एनडीए का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था, तब संघ प्रमुख भागवत ने उनका समर्थन किया था। मोदी भी कई बार सार्वजनिक मंचों से यह कह चुके हैं कि संघ ने उन्हें जीवन का उद्देश्य दिया। प्रधानमंत्री के कार्यकाल में अनुच्छेद 370 को हटाना और राम मंदिर का निर्माण जैसे बड़े काम किए गए हैं, जो संघ के प्रमुख एजेंडे में शामिल थे।


BJP के सामने नेतृत्व का संकट

BJP के सामने है नेतृत्व को लेकर कठिन फैसला
भाजपा के लिए यह समय बेहद संवेदनशील है। एक ओर उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार तय करना है, दूसरी ओर पार्टी अध्यक्ष के नाम को लेकर अंदरूनी सहमति नहीं बन पा रही है। संघ और पार्टी के बीच तालमेल बैठाना और एक ऐसा चेहरा चुनना, जो प्रधानमंत्री और संगठन दोनों को स्वीकार हो, भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।