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CP Radhakrishnan बने भारत के नए उपराष्ट्रपति: जानें उनकी जीत की कहानी

सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर जीत हासिल की है। 12 सितंबर को वे राष्ट्रपति भवन में शपथ लेंगे। इस चुनाव में 98.2% मतदान हुआ, जिसमें राधाकृष्णन को 452 वोट मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी और उनके संवैधानिक मूल्यों के रक्षक होने की बात कही। जानें इस अनुभवी नेता की जमीनी छवि और उनके भविष्य की अपेक्षाएं।
 

CP Radhakrishnan का उपराष्ट्रपति पद पर चयन

CP Radhakrishnan Oath Ceremony : भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को हुए चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार, पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर जीत हासिल की। वे 12 सितंबर को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समक्ष उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। यह चुनाव पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद कराया गया था, जिन्होंने 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दिया था।


चुनाव में 781 में से 767 सांसदों ने भाग लिया
इस चुनाव प्रक्रिया में 781 में से 767 सांसदों ने भाग लिया, जिससे 98.2% मतदान हुआ। इनमें से 752 वोट वैध माने गए, जबकि 15 वोट अमान्य रहे। राधाकृष्णन को बहुमत के लिए आवश्यक 377 वोटों की तुलना में 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोटों पर संतोष करना पड़ा। दिलचस्प बात यह है कि एनडीए के पास कागज़ी समर्थन 427 सांसदों का था, लेकिन YSR कांग्रेस के 11 सांसदों के समर्थन और कुछ अन्य संभावित क्रॉस-वोटिंग के कारण राधाकृष्णन को अपेक्षा से 14 वोट अधिक मिले। इसने विपक्षी खेमे में हलचल और अटकलें बढ़ा दी हैं।


PM ने दी बधाई, बताया संवैधानिक मूल्यों का रक्षक
चुनाव परिणामों की घोषणा के तुरंत बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर सीपी राधाकृष्णन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन का जीवन हमेशा समाज सेवा और हाशिए पर खड़े वर्गों को सशक्त करने के लिए समर्पित रहा है। पीएम मोदी ने विश्वास जताया कि वे एक संवेदनशील और दक्ष उपराष्ट्रपति सिद्ध होंगे, जो भारतीय लोकतंत्र और संसदीय संवाद को नई दिशा देंगे।


जमीनी नेता के रूप में छवी 
सीपी राधाकृष्णन एक अनुभवी नेता हैं, जो भारतीय जनता पार्टी से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। उनकी छवि एक जमीनी नेता की रही है, जो न केवल संगठनात्मक रूप से सशक्त माने जाते हैं, बल्कि संसदीय अनुभव भी रखते हैं। अब उपराष्ट्रपति के रूप में उनसे संविधानिक दायित्वों और राज्यसभा की गरिमा को बढ़ाने की अपेक्षा की जा रही है।