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IAF ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए प्रस्ताव रखा

भारतीय वायुसेना (IAF) ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। यह कदम MRFA परियोजना के तहत उठाया जा रहा है, जिसमें विमानों का निर्माण देश में विदेशी सहयोग से किया जाएगा। IAF ने राफेल विमानों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है, खासकर पाकिस्तान के साथ हालिया ऑपरेशन के बाद। वर्तमान में IAF के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं, जो घटकर 29 पर आ जाएंगे। भविष्य में 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की आवश्यकता भी जताई गई है। जानें इस प्रस्ताव के पीछे की पूरी कहानी।
 

भारतीय वायुसेना का नया प्रस्ताव

लड़ाकू विमानों की आवश्यकता: भारतीय वायुसेना (IAF) ने फ्रांस से और अधिक राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। यह कदम लंबे समय से लंबित 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) परियोजना के तहत उठाया जा रहा है, जिसमें अधिकांश विमानों का निर्माण देश में विदेशी सहयोग से किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय के उच्च अधिकारियों के अनुसार, IAF अगले एक-दो महीने में MRFA परियोजना के लिए 'आवश्यकता की स्वीकृति' (AoN) का प्रस्ताव रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) के समक्ष रखेगा, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे.


राफेल विमानों की तत्काल आवश्यकता

सूत्रों के अनुसार, अंतिम निर्णय सरकार द्वारा लिया जाएगा, लेकिन IAF ने स्क्वाड्रनों की घटती संख्या को देखते हुए राफेल विमानों की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है। यह पहल तीन महीने पहले पाकिस्तान के साथ हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद की गई है, जिसमें राफेल विमानों का लंबी दूरी के हमलों में बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया था। पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने छह IAF विमानों, जिनमें तीन राफेल शामिल थे, को मार गिराया, लेकिन भारत ने इस दावे को खारिज कर दिया। इस दौरान पाकिस्तान ने चीनी J-10 लड़ाकू विमानों और 200 किमी रेंज वाली PL-15 मिसाइलों का इस्तेमाल किया.


IAF की वर्तमान स्थिति

IAF के स्क्वाड्रनों की संख्या: MRFA परियोजना पिछले सात-आठ वर्षों से अटकी हुई है, जिसकी प्रारंभिक लागत 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक थी। वर्तमान में IAF के पास केवल 31 स्क्वाड्रन हैं, जो अगले महीने मिग-21 विमानों की सेवानिवृत्ति के बाद घटकर 29 पर आ जाएंगे। यह संख्या चीन और पाकिस्तान से संभावित खतरों का सामना करने के लिए आवश्यक 42.5 स्क्वाड्रनों से काफी कम है.


भविष्य की योजनाएँ

5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की आवश्यकता: IAF ने भविष्य में दो से तीन स्क्वाड्रन 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की आवश्यकता बताई है। इसके लिए रूस के सुखोई-57 और अमेरिका के F-35 विकल्प हो सकते हैं, हालांकि अब तक किसी से आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है। IAF का मानना है कि G2G डील के माध्यम से अधिक राफेल खरीदना आर्थिक और लॉजिस्टिक दृष्टि से अधिक उपयुक्त होगा.


प्लेटफॉर्म और उपकरणों की समानता

सितंबर 2016 में भारत ने 59,000 करोड़ रुपये की इंटर-गवर्नमेंटल डील के तहत 36 राफेल विमानों की खरीद की थी, जिन्हें अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर तैनात किया गया है। दोनों एयरबेस पर एक-एक और स्क्वाड्रन तैनात करने की क्षमता पहले से मौजूद है। नौसेना ने भी अप्रैल में 63,887 करोड़ रुपये की डील के तहत 26 राफेल-मरीन विमानों का ऑर्डर दिया है, जो 2028-2030 के बीच INS विक्रांत पर तैनात होंगे। इससे प्लेटफॉर्म और उपकरणों में समानता बनी रहेगी। हाल ही में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति ने IAF की युद्ध क्षमता को तेजी से बढ़ाने के लिए विस्तृत रोडमैप तैयार किया है, जिससे प्राइवेट क्षेत्र की भागीदारी को भी बढ़ावा मिलेगा.