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IAS संतोष वर्मा के विवादास्पद बयान पर मचा हंगामा, मांगी माफी

मध्य प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा ने आरक्षण पर विवादास्पद टिप्पणी की, जिससे राजनीतिक हलचल मच गई। उन्होंने ब्राह्मण बेटियों को लेकर कहा कि आरक्षण तब तक स्वीकार्य नहीं होगा जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी उनके बेटे को दान नहीं कर देता। इस बयान के बाद उन्होंने माफी मांगी है। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने उनके बयान की निंदा की है। संतोष वर्मा ने कहा कि उनका उद्देश्य विवाद खड़ा करना नहीं था। इस मामले में राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ तेज हो गई हैं।
 

IAS संतोष वर्मा का विवादास्पद बयान


IAS संतोष वर्मा का विवादास्पद बयान: मध्य प्रदेश के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा एक बार फिर अपने विवादास्पद बयान के कारण चर्चा में हैं। उन्होंने भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान आरक्षण के मुद्दे पर ब्राह्मण समाज की बेटियों को लेकर टिप्पणी की, जिससे राजनीतिक हलचल मच गई। इसके बाद, संतोष वर्मा ने माफी मांगी है।


वास्तव में, संतोष वर्मा ने अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ के अधिवेशन में कहा कि 'एक परिवार में एक ही व्यक्ति को आरक्षण' की धारणा का विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि यह तब तक स्वीकार्य नहीं होगा जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी उनके बेटे को दान नहीं कर देता। इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद ब्राह्मण और सवर्ण संगठनों में नाराजगी फैल गई। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने भी इस पर अपनी आपत्ति जताई है। संतोष वर्मा ने अपने बयान को लेकर सफाई देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य राजनीतिक विवाद खड़ा करना नहीं था।


एक समाचार स्रोत से बातचीत में, संतोष वर्मा ने कहा, "मेरा उद्देश्य किसी राजनीतिक विवाद को जन्म देना नहीं था। हमारी प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया था कि आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए, न कि सामाजिक आधार पर। इस पर सभी ने अपने विचार साझा किए। कुछ लोगों का मानना था कि यदि कोई परिवार आईएएस बन जाता है, तो उस परिवार के अन्य सदस्यों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए।"


संतोष वर्मा ने आगे कहा, "मैंने कहा था कि अगर मैं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हूं और सामाजिक रूप से पिछड़ा नहीं हूं, तो मेरे बच्चों को समाज से रोटी-बेटी का व्यवहार मिलना चाहिए। इस बात को गलत तरीके से प्रचारित किया गया। मैं सभी समुदायों से कहना चाहता हूं कि मेरी किसी भी समुदाय के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है। यदि किसी को ठेस पहुंची हो, तो मैं दिल से खेद व्यक्त करता हूं।"


इस विवाद पर बिहार से भाजपा के राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे ने कहा, "एक वरिष्ठ अधिकारी का इस प्रकार का जातिगत और स्त्री-विरोधी बयान न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि समाज को बांटने वाली मानसिकता का प्रमाण भी है। मैं स्वयं एक ब्राह्मण हूं, और हमारी परंपरा 'सम्मान' सिखाती है, 'अपमान' नहीं।"


उन्होंने आगे कहा, "आप जैसे लोग आरक्षण की बहस में भी बुनियादी मानवीय संवेदनाओं की परीक्षा में फेल हो जाते हैं। देश की बहन-बेटियों को दान की वस्तु समझने वाली सोच निंदनीय है। यह विचार न केवल घटिया है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक मर्यादा का अपमान भी है। सरकार ऐसे मानसिक दिवालियेपन को बर्दाश्त नहीं करेगी।"


मध्य प्रदेश में कांग्रेस के महासचिव अमित शर्मा ने एक्स पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, "शायद किसी ने संतोष वर्मा की बुद्धि को हर लिया है। यह बयान सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने वाला है। उन्होंने न केवल ब्राह्मण बेटियों के बारे में टिप्पणी की है, बल्कि हर जाति और धर्म की बहन-बेटियों के बारे में भी। मैं संतोष वर्मा जी से आग्रह करता हूं कि वे जल्द माफी मांगें।"


शर्मा ने आगे कहा, "ब्राह्मण समाज के लोग, चाहे वे भाजपा के हों या कांग्रेस के, जो परशुराम को मानते हैं, उनसे निवेदन है कि यदि किसी अन्य धर्म या जाति के खिलाफ ऐसा बयान होता, तो सोशल मीडिया पर कितने बयान आते। लेकिन ब्राह्मण बेटियों के खिलाफ कुछ नहीं कहा गया। यह नेतागिरी का नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दा है। संतोष वर्मा का यह बयान निंदनीय है। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे अपनी आवाज उठाएं और समाज के प्रमुख लोगों से निवेदन करें कि डीजीपी से एफआईआर की मांग करें। मुख्यमंत्री और चीफ सेक्रेट्री को ज्ञापन देकर उनके निष्कासन की मांग करनी चाहिए।"