RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा का बयान: भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक दबावों से सुरक्षित
RBI गवर्नर का बयान
RBI गवर्नर का बयान: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ को लेकर किसी भी गंभीर चिंता से इनकार किया है। वाशिंगटन डीसी में IMF और विश्व बैंक की वार्षिक शरदकालीन बैठक में उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू मांग पर निर्भर है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक दबावों का प्रभाव सीमित होता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें वैश्विक घटनाक्रमों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह भारत के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है।
भारत की मजबूत स्थिति वैश्विक अस्थिरता के बीच
IMF गवर्नर वार्ता सत्र में मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारत की मैक्रोइकोनॉमिक नींव मजबूत बनी हुई है। उन्होंने उभरती अर्थव्यवस्थाओं को चेतावनी दी कि वर्तमान समय में नीतिगत अनिश्चितता एक महत्वपूर्ण जोखिम बन चुकी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता से सकारात्मक संकेत
गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी संकेत दिया कि यदि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता जल्द ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचती है, तो इससे भारत को संभावित रणनीतिक और आर्थिक लाभ मिल सकते हैं। उन्होंने यह पुष्टि की कि उन्होंने भारतीय वार्ता प्रतिनिधियों से मुलाकात की है और उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष व्यावहारिक समाधान की दिशा में काम कर रहे हैं।
रुपये की स्थिरता पर ध्यान
डॉलर के मुकाबले रुपये के हालिया उतार-चढ़ाव पर गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई किसी निश्चित विनिमय दर लक्ष्य को नहीं अपनाता। उन्होंने स्पष्ट किया कि बाजार की ताकतों को दर निर्धारण की स्वतंत्रता दी जाती है, और रिजर्व बैंक का मुख्य उद्देश्य केवल अत्यधिक अस्थिरता को रोकना है। हाल ही में रुपये ने 88.80 के रिकॉर्ड निचले स्तर को छुआ था, लेकिन आरबीआई के समय पर हस्तक्षेप ने इसे और गिरने से रोका।
रेपो दर में कोई बदलाव नहीं
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 1 अक्टूबर को हुई बैठक में सभी छह सदस्यों ने रेपो दर को 5.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया। यह निर्णय वैश्विक अनिश्चितताओं और घरेलू महंगाई को ध्यान में रखते हुए लिया गया। अगली बैठक 3-5 दिसंबर को प्रस्तावित है।
नीति में कटौती की संभावना लेकिन समय सही नहीं
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि वर्तमान आर्थिक परिदृश्य नीतिगत निर्णयों के लिए कुछ लचीलापन प्रदान करता है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि दर कटौती की गुंजाइश है, लेकिन यह वर्तमान समय में उपयुक्त नहीं होगा, क्योंकि इसका वांछित प्रभाव नहीं दिखाई देगा।