×

अंबाला छावनी में अग्रवाल सभा के चुनाव: नई उम्मीदों का संचार

अंबाला छावनी में अग्रवाल सभा के चुनाव 4 जनवरी 2025 को होने जा रहे हैं, जो लगभग साढ़े चार साल बाद आयोजित हो रहे हैं। इस बार चुनाव में सुभाष गोयल और राकेश कंसल के बीच मुख्य मुकाबला होगा। चुनाव की प्रक्रिया की निगरानी प्रशासन द्वारा की जाएगी, और लगभग 1450 सदस्य मतदान में भाग लेंगे। जानें चुनाव की तैयारी, प्रक्रिया और इसके महत्व के बारे में।
 

अग्रवाल सभा के चुनाव की तैयारी

अंबाला छावनी में अग्रवाल सभा के चुनाव लगभग साढ़े चार साल बाद आयोजित होने जा रहे हैं। इसका श्रेय सीए सुभाष गोयल को जाता है, जिन्होंने सभा को बचाने के लिए लगातार प्रशासन और सरकार के साथ संवाद बनाए रखा। गोयल का कहना है कि कुछ लोग राजनीतिक कारणों से समाज की छवि को नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हैं, जिसके चलते चुनाव नहीं हो पाए और इससे सभा की प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।


मतदान की तिथि और प्रक्रिया

प्रशासन ने चुनाव की तिथि निर्धारित कर दी है, और मतदान 4 जनवरी 2025 को अग्रवाल धर्मशाला में होगा। उसी दिन चुनाव परिणाम भी घोषित किए जाएंगे। इस बार लगभग 1450 सदस्य मतदान में भाग लेंगे, जिससे यह कैंट क्षेत्र के सबसे बड़े सामुदायिक चुनावों में से एक बन जाएगा।


चुनाव प्रक्रिया की निगरानी

चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए तहसीलदार को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है। आधिकारिक अधिसूचना जारी होते ही समिति और प्रशासन ने चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। मतदान प्रक्रिया में 50 कोलेजियम बनाए जाएंगे, जिनमें लगभग 30 सदस्य होंगे, जो प्रधान, उपप्रधान, महासचिव और कोषाध्यक्ष का चुनाव करेंगे।


मुख्य समूहों के बीच मुकाबला

चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही चुनावी गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। इस बार मुख्य मुकाबला सुभाष गोयल गुट और राकेश कंसल गुट के बीच होगा। स्थानीय सदस्यों का मानना है कि यह चुनाव समाज में नेतृत्व और दिशा तय करने वाला होगा।


चुनाव में देरी के कारण

पिछले कुछ वर्षों में सभा में गुटबाजी और प्रशासनिक टकराव देखने को मिला है। एक पक्ष चुनाव चाहता था, जबकि दूसरा पक्ष प्रशासक नियुक्त करने पर जोर देता रहा। यह मामला गृह मंत्री अनिल विज तक पहुंचा। 2017 से 2019 के बीच राकेश कंसल प्रधान रहे, लेकिन चुनाव नहीं हुए। 2021 में भी चुनाव लंबित रहे, जिसके कारण एडहॉक कमेटी का गठन करना पड़ा।


चुनाव का महत्व

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मतदान केवल नेतृत्व बदलने का मामला नहीं है, बल्कि संगठन की कार्यशैली और पारदर्शिता का भी परीक्षण है। लंबे समय बाद चुनाव होने से सदस्यों में नई उम्मीद जागी है और समुदाय की भूमिका मजबूत होने की संभावना है।


चुनाव प्रक्रिया के दिशा निर्देश

प्रशासन ने मतदाताओं और उम्मीदवारों के लिए विस्तृत नियम जारी किए हैं। मुख्य निर्देशों में शामिल हैं: एक व्यक्ति केवल एक पद पर नामांकन दे सकता है, उम्मीदवार को दो फोटो और पहचान पत्र लाना होगा, और नामांकन केवल संबंधित कोलेजियम के पंजीकृत सदस्य ही कर सकते हैं। मतदान के दौरान मतदाता पहचान पत्र साथ लेकर आएंगे।


भविष्य की संभावनाएँ

स्थानीय जानकारों का मानना है कि यदि चुनाव शांति और पारदर्शिता से होते हैं, तो अग्रवाल सभा में स्थायित्व और निर्णय क्षमता बढ़ेगी। इससे आने वाले वर्षों में सामाजिक कार्यक्रमों, दान और विकास गतिविधियों में तेजी आ सकती है।