अखिलेश यादव का रामपुर दौरा: आजम खान से मुलाकात का राजनीतिक महत्व
उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल
Uttar Pradesh politics: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आज रामपुर का दौरा करेंगे। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य पूर्व मंत्री और सपा महासचिव आजम खान से मुलाकात करना है। यह मुलाकात आजम की जमानत पर जेल से रिहाई के बाद किसी सपा के बड़े नेता के साथ उनकी पहली बैठक होगी।
यात्रा की योजना
अखिलेश यादव चार्टर प्लेन से बरेली पहुंचेंगे और वहां से सड़क मार्ग से रामपुर के लिए रवाना होंगे। रामपुर पहुंचने के बाद, वह सीधे आजम खान से मिलने जाएंगे। इस मुलाकात का समय लगभग एक घंटा निर्धारित किया गया है। इस दौरान सपा प्रमुख न केवल आजम की सेहत का हाल जानेंगे, बल्कि पार्टी में गिले-शिकवे भी दूर करने का प्रयास करेंगे।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
जिला प्रशासन ने अखिलेश यादव के दौरे को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। बरेली और रामपुर में तीन मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं और सुरक्षा के लिए सीओ स्तर के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इस मुलाकात के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं।
आजम खान की नाराजगी को दूर करने की कोशिश
आजम खान 23 महीने बाद 23 सितंबर को जमानत पर जेल से बाहर आए थे। उनकी रिहाई के समय कोई बड़ा सपा नेता मौजूद नहीं था, केवल उनके बेटे अदीब समर्थकों के साथ सीतापुर जेल पहुंचे। इस दौरान आजम खान की नाराजगी सार्वजनिक बयानों में भी दिखाई दी थी।
राजनीतिक गतिविधियों में लौटने की योजना
जेल से बाहर आने के बाद आजम ने कहा कि पहले अपनी सेहत ठीक करेंगे और फिर राजनीतिक गतिविधियों में लौटेंगे। कुछ समय तक अटकलें भी लगीं कि वे सपा छोड़कर अन्य दलों में जा सकते हैं। ऐसे में अखिलेश यादव का रामपुर आना और आजम से मिलना उनकी नाराजगी दूर करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
सपा के निर्णयों में आजम खान का अहम रोल
साल 2020 में गिरफ्तारी के बाद आजम खान पार्टी में हाशिए पर रहे। 2024 के लोकसभा चुनाव में रामपुर सीट पर उनके प्रभाव को दरकिनार करते हुए मौलाना मोहिबुल्ला नदवी को टिकट दिया गया। हालांकि सपा ने उन्हें जेल में रहते महासचिव बनाए रखा। अब अखिलेश यादव की मुलाकात इस बात का संदेश देती है कि पार्टी में आजम की उपेक्षा नहीं की जाएगी और भविष्य के फैसलों में उनका अहम योगदान रहेगा.
मुस्लिम मतदाताओं को संदेश
आजम खान सपा की मुस्लिम राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा रहे हैं। उनके प्रभाव में कमी आने से मुस्लिम मतदाताओं के बीच पार्टी की पकड़ कमजोर पड़ने लगी थी। इस स्थिति में मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने के लिए पार्टी को आरएलडी और कांग्रेस जैसी पार्टियों के साथ तालमेल बनाना पड़ा। अखिलेश की आजम से मुलाकात को मुस्लिम समुदाय को यह संदेश देने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है कि सपा में उनकी भूमिका और सम्मान बरकरार है.
यूपी में मुस्लिम वोट बैंक की अहमियत
उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी करीब 20 प्रतिशत है। रामपुर के साथ ही सहारनपुर, मेरठ, कैराना, बिजनौर, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, संभल, नगीना, बराइच, बरेली, श्रावस्ती और पूर्वी यूपी के मऊ और आजमगढ़ जैसे जिले मुस्लिम वोट बैंक के आधार पर चुनावी नतीजे तय कर सकते हैं। ऐसे में आजम खान का प्रभाव और उनकी सक्रियता सपा के लिए महत्वपूर्ण है.