अखिलेश यादव ने 2027 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का किया आह्वान
समाजवादी पार्टी के समर्थन में पीडीए कार्यकर्ताओं की बैठक
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए पीडीए समाज के 65 से अधिक कार्यकर्ताओं ने आज लखनऊ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। सभी नेताओं ने एकजुट होकर 2027 के विधानसभा चुनाव में बिना शर्त समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का संकल्प लिया। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजकुमार भाटी और अपनी जिन्दगी अपना दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरजीत सिंह खण्डसाल के नेतृत्व में आए सभी नेता अपने-अपने जिलों में संगठन का संचालन करते हैं। अखिलेश यादव ने इस अवसर पर सभी नेताओं का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा एक लूट का गैंग है, जिसने संस्थानों और संसाधनों पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने भाजपा को सबसे झूठी पार्टी बताते हुए कहा कि यह लोगों के साथ अन्याय और उत्पीड़न का काम कर रही है। इस सरकार में किसी को भी न्याय नहीं मिल रहा है और भाजपा लोगों के अधिकारों का हनन कर रही है। उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव महत्वपूर्ण है, यह संविधान और अधिकारों की रक्षा का चुनाव है।
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार में सभी की भागीदारी होगी और सभी को न्याय और सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विकास कार्यों को फिर से शुरू किया जाएगा। भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है और महंगाई, बेरोजगारी, तथा भ्रष्टाचार चरम पर हैं। उन्होंने कहा कि विदेश नीति भी विफल रही है।
उन्होंने चीन के खतरे का जिक्र करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के कारण चीन ने हमारी सीमा में घुसपैठ की है। उन्होंने किसानों की खाद की समस्या पर भी चिंता जताई और कहा कि सरकार को खाद के लिए अन्य देशों से आयात करना चाहिए।
अखिलेश यादव ने कहा कि भारत सरकार को अपने बाजार को मजबूत करना चाहिए। भाजपा की सरकार हर मोर्चे पर विफल हो चुकी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्कूल बंद किए जा रहे हैं जबकि शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाई जा रही है। भाजपा सरकार युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रही है। समाजवादी सरकार ने विकास का नया रास्ता दिखाया था और किसानों को सुविधाएं प्रदान की थीं।
इस मौके पर कई नेता उपस्थित थे, जिनमें सतीश भारतीय, राम आसरे पाल, केवट राम धनी बिन्द, देवशरण यादव, जी.पी. जायसवाल, और अन्य शामिल थे।