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अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता बहाल: क्या है हेट स्पीच विवाद?

उत्तर प्रदेश के मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता को बहाल कर दिया गया है। यह निर्णय इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उनकी सजा पर रोक लगाने के बाद आया है। अब्बास अंसारी को पहले भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी ठहराया गया था, जिसके चलते उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और इसके राजनीतिक प्रभाव के बारे में।
 

अब्बास अंसारी की सदस्यता बहाली

अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता: उत्तर प्रदेश के मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के विधायक अब्बास अंसारी, जो माफिया मुख्तार अंसारी के पुत्र हैं, की विधानसभा सदस्यता एक बार फिर बहाल कर दी गई है। विधानसभा सचिवालय द्वारा 8 सितंबर 2025 को जारी आदेश के अनुसार, अब्बास की सदस्यता को पुनः मान्यता दी गई है। इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 अगस्त को निचली अदालत के निर्णय पर रोक लगाते हुए उनकी सजा को निलंबित कर दिया था.


हेट स्पीच मामले में दोषी ठहराए गए थे
विधानसभा सचिवालय के आदेश में बताया गया है कि मऊ की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने अब्बास अंसारी को भड़काऊ भाषण (हेट स्पीच) मामले में दोषी ठहराते हुए 31 मई 2025 को दो साल से अधिक की सजा सुनाई थी। इस सजा के कारण उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी और सीट को रिक्त घोषित किया गया था.


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाई
हालांकि, अब्बास अंसारी ने इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने 20 अगस्त 2025 को उनकी सजा पर रोक लगाते हुए दोषसिद्धि के आदेश को निलंबित कर दिया। इस निर्णय के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 191 (ड) और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 के तहत उनकी निरर्हता अस्थायी रूप से प्रभावहीन मानी गई है.


चुनाव प्रचार में दिया था भड़काऊ भाषण
अब्बास अंसारी का यह विवाद 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान शुरू हुआ था। एक जनसभा में उन्होंने कथित रूप से कहा था कि यदि वे सत्ता में आए तो अधिकारियों से "सबका हिसाब लिया जाएगा।" इस बयान को भड़काऊ और सरकारी अधिकारियों को धमकाने वाला माना गया। चुनाव आयोग ने इस बयान को गंभीरता से लेते हुए उनके चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ और कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया.


मऊ उपचुनाव पर लगी रोक
अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द होने के बाद मऊ सदर सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया था, जिससे उपचुनाव की संभावना बन गई थी। लेकिन अब, हाईकोर्ट द्वारा उनकी सजा पर रोक लगाने और विधानसभा सचिवालय द्वारा उनकी सदस्यता बहाल करने के कारण संभावित उपचुनाव की आवश्यकता समाप्त हो गई है.