अमित शाह ने संविधान हत्या दिवस 2025 पर इमरजेंसी के काले अध्याय को याद किया
संविधान हत्या दिवस पर अमित शाह का संबोधन
Amit Shah On Samvidhan Hatya Diwas 2025 : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने के अवसर पर संविधान हत्या दिवस 2025 कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा कि आज हम आजादी के बाद के भारत के इतिहास के एक काले अध्याय को याद करने के लिए एकत्रित हुए हैं। जिस प्रकार से आपातकाल के दौरान देश को जेलखाना बना दिया गया था, देश की आत्मा को गूंगा कर दिया गया था, न्यायालय के कानों को बहरा कर दिया गया था, लेखकों की कलम से स्याही निकाल दी गई थी, उस पूरे कालखंड का वर्णन कठोर शब्दों में करना आवश्यक है, ताकि युवा पीढ़ी को यह समझ में आ सके कि उस समय क्या हुआ था।
अमित शाह ने कहा कि इस अवसर पर एक पुस्तक का विमोचन भी हुआ- 'The Emergency Diaries - Years that Forged a Leader'. नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी के दौरान भूमिगत रहकर कई बार भेष बदलकर काम किया। उन्होंने इंदिरा गांधी की तानाशाही के खिलाफ देशभर में गांव-गांव जाकर काम किया। आज वही मोदी 2014 में परिवारवाद वाली पार्टी को सत्ता से बाहर करने में सफल हुए। जो युवा आपातकाल का विरोध कर रहा था, आज वही देश का प्रधानमंत्री बनकर लोकतंत्र को मजबूत कर रहा है। इस पुस्तक में उस आंदोलन में मोदी के संघर्ष की पूरी कहानी समाहित है।
उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में यह दर्शाया गया है कि कैसे नरेंद्र मोदी ने एक युवा कार्यकर्ता के रूप में आपातकाल के दौरान जयप्रकाश नारायण (JP) और नानाजी देशमुख के नेतृत्व वाले आंदोलन में भाग लिया। पुस्तक में उनके संघ प्रचारक के रूप में प्रयासों पर भी प्रकाश डाला गया है, जहां वे 19 महीने तक भूमिगत रहकर प्रतिरोध का समर्थन करते रहे।
अमित शाह ने आगे कहा कि कई बार इतिहास केवल घटनाओं को नहीं बताता, बल्कि नीयत और दृष्टिकोण को भी उजागर करता है। संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर ने जो 2 लाख 67 हजार शब्दों में संविधान का निर्माण किया, उन चर्चाओं का अंत इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा करके किया, जिससे संविधान की आत्मा को खत्म करने का कार्य हुआ।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान कई अखबारों के दफ्तर बंद कर दिए गए, 253 पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया, विदेशी पत्रकारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अखबारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई ताकि वे चल न सकें। अटल बिहारी वाजपेयी, मुलायम सिंह यादव जैसे कई नेताओं को जेल में डाल दिया गया। किशोर कुमार, देवआनंद और मनोज कुमार की फिल्मों पर रोक लगा दी गई थी। इमरजेंसी का परिणाम यह हुआ कि इंदिरा गांधी खुद चुनाव हार गईं और पहली बार देश में पूर्ण बहुमत वाली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी।