अमेरिका के नए टैरिफ का भारत पर प्रभाव: क्या होगा निर्यात का भविष्य?
नए टैरिफ का आगाज़
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए नए पारस्परिक टैरिफ गुरुवार से प्रभावी हो गए हैं। इन टैरिफ का प्रभाव भारत सहित लगभग 70 देशों पर पड़ेगा। भारत के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत का प्रारंभिक शुल्क और इसके बाद अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है। इससे भारत पर कुल मिलाकर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होगा, जो किसी भी देश पर अब तक का सबसे अधिक अमेरिकी शुल्क है।
अमेरिका में अरबों डॉलर का राजस्व
अमेरिका में अरबों डॉलर का राजस्व
टैरिफ लागू होने की घोषणा के साथ, राष्ट्रपति ट्रंप ने एक उत्साही बयान दिया, जिसमें कहा कि अब अमेरिका में अरबों डॉलर का राजस्व आएगा। उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, "आधी रात हो गई है!!! अरबों डॉलर के टैरिफ अब अमेरिका में आ रहे हैं!" ट्रंप ने यह भी कहा कि ये टैरिफ उन देशों से लिए जाएंगे जो वर्षों से अमेरिका का 'फायदा' उठाते आ रहे हैं। उन्होंने कट्टरपंथी वामपंथी अदालतों पर अमेरिका को अस्थिर करने का आरोप भी लगाया और अपने निर्णय को राष्ट्र की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था से जोड़ा।
भारत पर विशेष शुल्क का प्रभाव
भारत पर विशेष शुल्क
पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस ने घोषणा की थी कि भारत पर 25 प्रतिशत का टैरिफ तुरंत प्रभाव से लागू होगा। इसके साथ ही, रूस से तेल खरीदने और खुले बाजार में मुनाफा कमाने के आरोपों के चलते भारत पर एक और 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है, जो 27 अगस्त से प्रभावी होगा। इस प्रकार, भारत पर कुल 50 प्रतिशत शुल्क लागू होगा।
टैरिफ की सूची में एशियाई देश
70 देशों की सूची में कई एशियाई राष्ट्र शामिल
ट्रंप के कार्यकारी आदेश में 70 देशों पर विभिन्न टैरिफ दरें लागू की गई हैं। इन टैरिफ की सीमा 10 से 40 प्रतिशत के बीच है। इनमें शामिल हैं:
- जापान: 15%
- लाओस और म्यांमार: 40-40%
- पाकिस्तान: 19%
- श्रीलंका: 20%
- यूनाइटेड किंगडम: 10%
व्यापार पर संभावित प्रभाव
किन क्षेत्रों में होगा असर?
इस टैरिफ नीति का वैश्विक व्यापार पर व्यापक असर पड़ सकता है। भारत के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है, क्योंकि उच्च टैरिफ का असर निर्यात, विशेषकर टेक्सटाइल, कृषि और फार्मा जैसे क्षेत्रों पर हो सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत सरकार इस स्थिति का कैसे सामना करती है—क्या कूटनीतिक बातचीत होगी या व्यापारिक रणनीति में बदलाव किया जाएगा।