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अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए, तनाव बढ़ा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले की घोषणा की है, जिससे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है। इस हमले में नतांज, फोर्दो और इस्फहान शामिल हैं, जो ईरान के यूरेनियम संवर्धन और अनुसंधान के केंद्र हैं। जानें इस हमले के पीछे का कारण और ईरान के परमाणु कार्यक्रम का इतिहास। क्या यह कार्रवाई शांति की ओर ले जाएगी या और अधिक संघर्ष को जन्म देगी? पूरी जानकारी के लिए पढ़ें।
 

अमेरिकी राष्ट्रपति की घोषणा

शनिवार की शाम, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यह जानकारी दी कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों - फोर्दो, नतांज, और इस्फहान पर सटीक हवाई हमले किए हैं। इस कार्रवाई ने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है।


ट्रम्प का सोशल मीडिया पर बयान

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, "सभी विमान अब ईरानी हवाई क्षेत्र से बाहर हैं। फोर्दो पर बमों का पूरा भार गिराया गया। कोई अन्य सेना ऐसा नहीं कर सकती। अब शांति का समय है!"


नतांज: यूरेनियम संवर्धन का केंद्र

नतांज परमाणु साइट, जो तेहरान से लगभग 220 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है, ईरान के यूरेनियम संवर्धन का मुख्य केंद्र है। इस पर पहले भी इजरायल ने हवाई हमले किए हैं। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA के अनुसार, नतांज में यूरेनियम को 60% शुद्धता तक संवर्धित किया गया था, जो हथियार-ग्रेड स्तर के करीब है। इजरायल ने इस सुविधा के ऊपरी हिस्सों को नष्ट किया, और भूमिगत क्षेत्र में शक्तिशाली सेंट्रीफ्यूज को नुकसान पहुंचाया। IAEA ने पुष्टि की कि हमलों से कोई रेडियोधर्मी रिसाव आसपास के क्षेत्रों में नहीं हुआ। ईरान ने पास के पहाड़ कूह-ए-कोलांग गाज़ ला (पिकएक्स माउंटेन) के निकट नई भूमिगत सुविधाएं बनानी शुरू की थीं। नतांज पर पहले भी स्टक्सनेट वायरस और इजरायल से जुड़े अन्य हमले हो चुके हैं।


फोर्दो: अभेद्य परमाणु ठिकाना

फोर्दो, जो तेहरान से 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है, पहाड़ के नीचे बनी है और इसे हवाई हमलों से बचाने के लिए हवाई रक्षा प्रणालियों से सुरक्षित किया गया है। 2009 तक ईरान ने इसकी जानकारी गुप्त रखी थी। यहाँ उन्नत सेंट्रीफ्यूज यूरेनियम संवर्धन के लिए कार्य करते हैं। इसकी गहराई के कारण, इसे नष्ट करने के लिए केवल अमेरिका के GBU-57 "बंकर बस्टर" जैसे विशाल बम प्रभावी हैं, जो 30,000 पाउंड वजनी हैं और केवल बी-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर द्वारा ले जाए जा सकते हैं।


इस्फहान: परमाणु अनुसंधान का केंद्र

इस्फहान परमाणु प्रौद्योगिकी केंद्र, तेहरान से 350 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में, ईरान का प्रमुख परमाणु अनुसंधान केंद्र है। यहाँ हजारों वैज्ञानिक कार्यरत हैं और चीन द्वारा आपूर्ति किए गए तीन अनुसंधान रिएक्टर मौजूद हैं। इसके अलावा, यहाँ यूरेनियम रूपांतरण सुविधा भी है, जो परमाणु ईंधन उत्पादन की प्रारंभिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है। इजरायल ने इस्फहान के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से रूपांतरण संयंत्र, पर हमले किए। IAEA ने पुष्टि की कि हमलों से रेडिएशन स्तर में कोई वृद्धि नहीं हुई।


अन्य परमाणु ठिकाने जो नहीं हुए टारगेट

नतांज, फोर्दो, और इस्फहान पर हमले हुए, लेकिन ईरान के अन्य परमाणु ठिकाने अछूते रहे। बूशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र, जो फारस की खाड़ी के किनारे तेहरान से 750 किलोमीटर दक्षिण में है, नागरिक ऊर्जा के लिए उपयोग होता है और रूस से यूरेनियम प्राप्त करता है। यह IAEA की निगरानी में है। अराक हेवी वॉटर रिएक्टर, जो प्लूटोनियम उत्पादन की क्षमता रखता है, 2015 के परमाणु समझौते के तहत पुनर्गठित किया गया था। तेहरान अनुसंधान रिएक्टर, जो पहले उच्च-संवर्धित यूरेनियम पर कार्य करता था, अब निम्न-संवर्धित यूरेनियम का उपयोग करता है।


जानिए क्या है पूरा मामला?

अमेरिकी हमले इजरायल के 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' के बाद हुए, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बाधित करने के लिए शुरू किया गया था। इस सप्ताह की शुरुआत में ईरान ने जवाबी कार्रवाई की थी।


ईरान का परमाणु इतिहास

ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1957 में अमेरिकी सहायता से शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य शांतिपूर्ण ऊर्जा विकास था। 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद अमेरिका का समर्थन समाप्त हो गया। संयुक्त राष्ट्र के परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के हस्ताक्षरकर्ता होने के बावजूद, ईरान की मंशा पर वैश्विक संदेह बना हुआ है।