अमेरिका ने ईरान के समर्थन में 32 व्यक्तियों और संस्थाओं पर लगाया प्रतिबंध
ईरान के मिसाइल और यूएवी कार्यक्रमों पर कार्रवाई
संयुक्त राज्य अमेरिका ने बुधवार को ईरान के मिसाइल और मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) कार्यक्रमों के समर्थन में भारत समेत 32 व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया कि यह कदम ईरान द्वारा अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं को 'पूर्ण रूप से पूरा न करने' के जवाब में उठाया गया है।
विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंध उन व्यक्तियों और संस्थाओं पर लगाए गए हैं जो ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), तुर्की, चीन, हांगकांग, भारत, जर्मनी और यूक्रेन में स्थित हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कार्रवाई राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रयासों के अनुरूप है, जो ईरान द्वारा मिसाइलों और अन्य पारंपरिक हथियारों के विकास को रोकने के लिए की जा रही है।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि अमेरिका ने ईरान, चीन, हांगकांग, यूएई, तुर्की, भारत और अन्य देशों में स्थित 32 संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाया है, जो ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और यूएवी उत्पादन में मदद करने वाले खरीद नेटवर्क का संचालन करते हैं।
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के अवर सचिव जॉन के. हर्ले ने कहा कि ईरान अपने परमाणु और पारंपरिक हथियार कार्यक्रमों के लिए पुर्जे खरीदने के लिए वैश्विक वित्तीय प्रणालियों का दुरुपयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश पर, हम ईरान पर अधिकतम दबाव डालने का प्रयास कर रहे हैं।
वित्त विभाग ने भारत स्थित 'फार्मलेन प्राइवेट लिमिटेड' को मार्को क्लिंगे नामक एक यूएई की फर्म से जोड़ा है, जिसने कथित तौर पर सोडियम क्लोरेट और सोडियम परक्लोरेट जैसी सामग्रियों की खरीद में मदद की।
म्यांमार के सशस्त्र समूह पर भी प्रतिबंध
इस बीच, अमेरिका ने म्यांमार के एक सशस्त्र समूह और उसके चार वरिष्ठ नेताओं पर भी प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। उन पर अमेरिकियों को निशाना बनाने वाले साइबर घोटाला केंद्रों का समर्थन करने का आरोप है।
अमेरिकी वित्त विभाग ने बताया कि यह कार्रवाई डेमोक्रेटिक करेन बेनेवोलेंट आर्मी (डीकेबीए) और ट्रांस एशिया तथा ट्रॉथ स्टार जैसी कंपनियों पर लक्षित है, जो इन घोटाला केंद्रों के विकास में कथित रूप से शामिल हैं।
वित्त विभाग ने आगे कहा कि घोटाला केंद्रों के कर्मचारियों द्वारा अर्जित राजस्व संगठित अपराध को बढ़ावा देता है और डीकेबीए को अपनी हानिकारक गतिविधियों को वित्तपोषित करने में सक्षम बनाता है।