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अमेरिका ने पाकिस्तान को एएमआरएएएम मिसाइलों की आपूर्ति से किया इनकार

अमेरिका ने पाकिस्तान को एएमआरएएएम मिसाइलों की आपूर्ति से इनकार कर दिया है, जबकि मीडिया में इस डील की चर्चा हो रही थी। व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि नया अनुबंध केवल कुछ स्थायी वस्तुओं के लिए है और इसमें नई मिसाइलों की आपूर्ति नहीं होगी। अमेरिकी दूतावास ने बताया कि यह अनुबंध मौजूदा प्रणालियों के रखरखाव के लिए है, न कि उनकी क्षमताओं के उन्नयन के लिए। जानें इस निर्णय के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 

पाकिस्तान को मिसाइलों की आपूर्ति पर अमेरिका का स्पष्टीकरण

अमेरिका ने शुक्रवार को पाकिस्तान को उन्नत मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (AMRAAM) की आपूर्ति करने से मना कर दिया। विभिन्न मीडिया स्रोतों ने इस डील की जानकारी दी थी। व्हाइट हाउस के एक बयान में कहा गया कि पाकिस्तान के साथ नया अनुबंध कुछ "स्थायी वस्तुओं" के लिए है, जिसमें ये मिसाइलें शामिल नहीं हैं।


अमेरिकी दूतावास का बयान

भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास ने बताया कि 30 सितंबर, 2025 को, युद्ध विभाग ने मानक अनुबंध घोषणाओं की एक सूची जारी की, जिसमें पाकिस्तान समेत कई देशों के लिए रखरखाव और पुर्जों के लिए मौजूदा विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध में संशोधन का उल्लेख था।


अनुबंध का उद्देश्य

प्रशासन ने यह स्पष्ट किया कि मीडिया रिपोर्टों के विपरीत, इस अनुबंध संशोधन का कोई हिस्सा पाकिस्तान को नई एएमआरएएएम मिसाइलों की आपूर्ति के लिए नहीं है। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि इस अनुरक्षण में पाकिस्तान की मौजूदा क्षमताओं का उन्नयन शामिल नहीं है।


मीडिया रिपोर्टों का संदर्भ

हालांकि, दूतावास ने यह भी कहा कि जिन अनुबंधों का उल्लेख किया जा रहा है, वे "पाकिस्तान समेत कई देशों के लिए अनुरक्षण और पुर्जों" के लिए हैं। इसका मतलब यह हो सकता है कि अनुबंध में उन मिसाइलों की पुनःपूर्ति शामिल हो सकती है, जिनका पाकिस्तान ने हाल ही में उपयोग किया होगा।


ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव

यह स्पष्टीकरण ऑपरेशन सिंदूर के बाद महत्वपूर्ण हो जाता है, जिसमें पाकिस्तान और भारत दोनों की सेनाएँ हवाई युद्ध में शामिल थीं।


पाकिस्तान को मिसाइलों की संभावित आपूर्ति

हाल के दिनों में, कई मीडिया आउटलेट्स ने बताया है कि पाकिस्तान को अमेरिका से एआईएम-120 एएमआरएएएम मिसाइलें मिलने की संभावना है, जो उसके एफ-16 बेड़े को मजबूत कर सकती हैं और क्षेत्रीय हवाई संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं।


अमेरिकी दूतावास का खंडन

अमेरिकी दूतावास का बयान इन अटकलों का सीधा खंडन करता है। यह बताता है कि अनुबंध "स्थायी" है, जिसका उद्देश्य मौजूदा प्रणालियों का समर्थन करना है, न कि उन्हें बढ़ाना।


अनुबंध का वित्तीय विवरण

अमेरिकी युद्ध विभाग द्वारा 41.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंध संशोधन को रेथियॉन मिसाइल्स एंड डिफेंस को AMRAAM C-8 और D-3 वेरिएंट के निरंतर उत्पादन के लिए प्रदान किया गया था। इस संशोधन के साथ अनुबंध का कुल मूल्य लगभग 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जिसका कार्य 30 मई, 2030 तक पूरा होना है।


अनुबंध का उद्देश्य स्पष्ट करना

दूतावास ने यह स्पष्ट किया कि अनुबंध का उद्देश्य मौजूदा मिसाइल प्रणालियों के रखरखाव का समर्थन करना है और यह पाकिस्तान की हवाई युद्ध क्षमताओं की नई बिक्री या वृद्धि का गठन नहीं करता है।


अनुबंध प्रक्रिया

अमेरिकी युद्ध विभाग की अनुबंध घोषणा रक्षा खरीद में एक मानक प्रक्रिया है, जिसमें कई देशों में अद्यतन, स्पेयर पार्ट्स और रखरखाव शामिल है।