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अमेरिका में एच-1बी वीजा विवाद: 40,000 से अधिक अमेरिकियों की छंटनी

अमेरिका में एच-1बी वीजा को लेकर विवाद बढ़ गया है, जिसमें 40,000 से अधिक अमेरिकी तकनीकी कर्मचारियों की छंटनी की गई है। व्हाइट हाउस ने इस मामले में नए शुल्क और कंपनियों द्वारा किए गए दुरुपयोग का जिक्र किया है। जानें इस मुद्दे के पीछे की सच्चाई और इसके संभावित प्रभाव।
 

एच-1बी वीजा पर छंटनी का मामला

नई दिल्ली - अमेरिका में एच-1बी वीजा को लेकर एक नया विवाद उभरा है। व्हाइट हाउस ने शनिवार को जानकारी दी कि इस वर्ष 40,000 से ज्यादा अमेरिकी तकनीकी कर्मचारियों की छंटनी की गई है, और उनकी जगह विदेशी कर्मचारियों, विशेषकर एच-1बी वीजा धारकों को नियुक्त किया गया है।


राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि नए आवेदकों के लिए एच-1बी वीजा पर एक लाख डॉलर का नया शुल्क लागू किया जाएगा, जिसे एक बार में चुकाना होगा। व्हाइट हाउस ने इस निर्णय का कारण बताते हुए कहा कि अमेरिकी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर स्थानीय कर्मचारियों की छंटनी की और उनकी जगह विदेशी कर्मचारियों को रखा।


व्हाइट हाउस ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक कंपनी को 5189 एच-1बी वीजा मिले, जिसके बाद उसने 16,000 अमेरिकियों को नौकरी से निकाला। इसी तरह, एक अन्य कंपनी ने 1698 एच-1बी वीजा प्राप्त करने के बाद 2400 लोगों को निकाल दिया। एक और कंपनी ने 2022 से 27,000 अमेरिकियों की नौकरी छीन ली है। चौथी कंपनी ने 1000 लोगों को नौकरी से निकाला और उनकी जगह विदेशी कर्मचारियों को भर्ती किया।


व्हाइट हाउस का कहना है कि यह कदम अमेरिकियों के भविष्य की सुरक्षा के लिए उठाया गया है। कंपनियों द्वारा एच-1बी वीजा प्रोग्राम के दुरुपयोग को रोकना आवश्यक है ताकि देश की सुरक्षा को खतरा न हो। वहीं, पुराने वीजा धारकों पर शुल्क लागू न होना अमेरिका में काम कर रहे हजारों पेशेवरों के लिए राहत की बात है, जिनमें बड़ी संख्या में भारतीय शामिल हैं।


व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता देने का वादा किया था और यह कदम उसी दिशा में है।' उन्होंने यह भी कहा कि यह उन अमेरिकी व्यवसायों को भी स्थिरता प्रदान करता है जो वास्तव में कुशल श्रमिकों को लाना चाहते हैं, लेकिन प्रणाली की गड़बड़ी के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे हैं।