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असम में चुनावी रणनीति: सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चिंतित हैं और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस नेता गौरव गोगोई के खिलाफ एक जांच समिति का गठन किया है, जिसका उद्देश्य गोगोई के कथित पाकिस्तान संबंधों की जांच करना है। भाजपा ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया है, जिसमें असम में मुस्लिम आबादी को दर्शाया गया है, जिससे यह संदेश दिया जा रहा है कि भाजपा के बिना असम मुस्लिम बहुल हो जाएगा। जानें इस चुनावी रणनीति के पीछे की सच्चाई और सरमा की व्यक्तिगत लड़ाई के बारे में।
 

मुख्यमंत्री की चुनावी बेचैनी

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चिंतित हैं, जो अगले साल अप्रैल में होने वाला है। चुनाव से आठ महीने पहले, वे इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की दिशा में मोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उनका लक्ष्य हिंदू बनाम मुस्लिम चुनावी माहौल तैयार करना है। इसके लिए, उन्होंने एक जांच समिति का गठन किया है, जो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई के कथित पाकिस्तान संबंधों की जांच कर रही है। सरमा का दावा है कि समिति को गंभीर सबूत मिले हैं, लेकिन वे इन सबूतों को सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं। यह स्थिति सवाल उठाती है कि क्या वास्तव में कोई ठोस सबूत हैं या यह केवल कांग्रेस नेता को मुस्लिम और पाकिस्तान समर्थक साबित करने का एक प्रयास है?


भाजपा की रणनीति और वीडियो प्रचार

गौरव गोगोई पर निशाना साधने के अलावा, भाजपा ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया है, जिसमें गुवाहाटी सहित अन्य क्षेत्रों में केवल मुस्लिम आबादी को दर्शाया गया है। इस वीडियो का संदेश है कि यदि भाजपा सत्ता में नहीं रही, तो असम मुस्लिम बहुल हो जाएगा। इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी दिखाया गया है। भाजपा का कहना है कि वह इस भयावह स्थिति को होने नहीं देगी। असम में भाजपा की सरकार पिछले 10 वर्षों से है, और केंद्र में भी भाजपा की सरकार है। इसके बावजूद, विकास के बजाय मुस्लिमों के प्रति भय दिखाकर वोट मांगने की राजनीति की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी घुसपैठ के मुद्दे को उठाते रहते हैं।


सरमा की व्यक्तिगत लड़ाई

मुख्यमंत्री सरमा की बेचैनी का एक कारण यह भी है कि क्या भाजपा को 10 वर्षों की एंटी इनकंबेंसी का डर है? क्या गोगोई का प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनना भाजपा के लिए चिंता का विषय है? दरअसल, सरमा ने गोगोई के खिलाफ एक व्यक्तिगत लड़ाई शुरू की है। उन्होंने लोकसभा चुनाव में जोरहाट सीट पर गोगोई को हराने के लिए पूरी ताकत लगाई थी, लेकिन गोगोई ने करीब डेढ़ लाख वोट से जीत हासिल की। इस जीत के बाद भाजपा के विधायक मृणाल सैकिया ने सोशल मीडिया पर लिखा कि चुनाव परिणाम दर्शाते हैं कि पैसा और प्रचार चुनाव नहीं जीत सकते। इस पर सरमा नाराज हुए, लेकिन सैकिया ने कहा कि यह पार्टी की भावना है। सरमा ने गोगोई के खिलाफ व्यक्तिगत लड़ाई को बढ़ावा दिया है, जबकि भाजपा के नेता भी सवाल उठा रहे हैं कि 2021 में चुनाव के दौरान ऐसा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण क्यों नहीं किया गया था।