असम में वोटर लिस्ट में वृद्धि: अन्य राज्यों से अलग स्थिति
असम की अनोखी स्थिति
नई दिल्ली: देश के विभिन्न राज्यों में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के दौरान मतदाता सूची में कमी आई है, लेकिन असम ने इस मामले में एक अलग तस्वीर पेश की है। बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में SIR प्रक्रिया के बाद मतदाताओं की संख्या में गिरावट आई, जबकि असम में यह संख्या 1.35% बढ़ गई है।
नए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट का अनावरण
असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने मंगलवार को नया ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी किया, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 1.35% की वृद्धि दर्शाई गई। आंकड़ों के अनुसार, असम में लगभग 1.25 करोड़ पुरुष और 1.26 करोड़ महिला मतदाता हैं, जो दर्शाता है कि महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। यह बदलाव राज्य की बदलती जनसांख्यिकी को उजागर करता है और चुनावी चर्चाओं को नया मोड़ देता है।
SIR प्रक्रिया की तुलना
बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य 12 राज्यों में SIR के दौरान मतदाताओं की घर-घर जाकर जांच की गई। संदिग्ध, मृत या स्थानांतरित मतदाताओं को सूची से हटाया गया, जिससे वहां मतदाता संख्या में कमी आई। इसके विपरीत, असम में केवल वोटर लिस्ट की जांच की गई, जिससे बड़े पैमाने पर नाम नहीं हटाए गए।
NRC का प्रभाव
असम में वोटर सूची में वृद्धि का एक प्रमुख कारण NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स) प्रक्रिया है, जो सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि नागरिकता अधिनियम के तहत असम के लिए विशेष शर्तें हैं, जिसके कारण यहां SIR जैसा व्यापक संशोधन नहीं हुआ।
तकनीकी कारणों से नामों में देरी
असम में स्पेशल रिवीजन के दौरान फॉर्म 7 के माध्यम से औपचारिक आवेदन न मिलने के कारण मृत या स्थानांतरित मतदाताओं को हटाया नहीं गया है। अनुमान है कि लगभग 10 लाख ऐसे नाम अभी भी ड्राफ्ट वोटर रोल में मौजूद हैं। अन्य राज्यों में आयोग संदिग्ध नामों को स्वयं हटाता है, लेकिन असम में अधिकारियों ने कहा है कि जब तक औपचारिक आवेदन नहीं आता, तब तक इन नामों को नहीं हटाया जाएगा.