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असम में हथियार वितरण योजना पर उठे सवाल, सरकार की मुश्किलें बढ़ीं

असम में हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार ने स्थानीय निवासियों को हथियार देने की योजना की घोषणा की थी, जिसे व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा। आलोचकों का कहना है कि यह योजना समाज में विभाजन को बढ़ावा देने का प्रयास है। रिपोर्ट के अनुसार, केवल 266 लोगों ने आवेदन किया है, लेकिन सरकार ने अब तक किसी को मंजूरी नहीं दी। चुनाव नजदीक हैं, और जनता इस योजना में रुचि नहीं दिखा रही है। जानें इस योजना का भविष्य क्या होगा और क्यों लोग इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
 

असम सरकार की विवादास्पद योजना

असम में हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार ने स्थानीय निवासियों को हथियार देने की योजना की घोषणा की थी। इस योजना की शुरुआत के साथ ही इसे व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा। आलोचकों का कहना है कि यह योजना समाज में विभाजन को बढ़ावा देने और हिंसा को प्रोत्साहित करने का प्रयास है। इसे आपसी सद्भाव को बिगाड़ने और झगड़ों को बढ़ाने वाली योजना के रूप में देखा गया। हालांकि, योजना की शुरुआत के बाद से यह आगे नहीं बढ़ पाई है। चुनाव नजदीक हैं, और न तो आम जनता इस योजना में रुचि दिखा रही है और न ही सरकार इसे लागू करने में सफल हो पा रही है।


एक रिपोर्ट के अनुसार, असम में केवल 266 लोगों ने हथियारों के लिए आवेदन किया है, लेकिन सरकार ने अब तक किसी भी आवेदन को मंजूरी नहीं दी है। यह माना जा रहा है कि इस योजना को सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा देने और एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने के प्रयास के रूप में देखा गया है। इस कारण से इसे सामाजिक स्तर पर स्वीकार नहीं किया गया है। इसके अलावा, अधिकांश लोग अपनी सुरक्षा को लेकर उतने चिंतित नहीं हैं, जितनी चिंता सरकार दिखा रही है। इसलिए, उन्हें अपने पड़ोसियों या समाज के अन्य लोगों से कोई खतरा नहीं महसूस हो रहा है, और न ही उन्हें हथियारों की आवश्यकता महसूस हो रही है।